उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित केदारनाथ ज्योतिर्लिंग की कथा पौराणिक रहस्यों से भरी हुई है। यह शिव भक्तों के लिए न केवल आस्था का केंद्र है बल्कि मोक्ष की प्राप्ति का प्रमुख द्वार भी माना जाता है।महाभारत युद्ध के पश्चात जब पांडव अपने पापों के प्रायश्चित हेतु भगवान शिव के दर्शन को निकले, तब शिवजी उनसे रुष्ट होकर भैंस का रूप लेकर अदृश्य हो गए। केदार पहुंचने पर भीम ने पशुओं में अंतर खोजने के लिए विशालकाय रूप धारण किया और एक भैंस को पकड़ लिया, जो वास्तव में शिवजी थे।
जैसे ही शिवजी धरती में समाने लगे, भीम ने उनकी पीठ को पकड़ लिया। यही पीठ का भाग पिंड के रूप में प्रकट हुआ और कालांतर में केदारनाथ ज्योतिर्लिंग कहलाया वहीं एक अन्य कथा के अनुसार नर-नारायण ऋषि की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ज्योतिर्लिंग के रूप में उसी स्थल पर प्रकट हुए।केदारनाथ की इस दिव्य गाथा में श्रद्धा, भक्ति और मोक्ष का संगम है, जो हर शिवभक्त को आध्यात्मिक अनुभव की ओर ले जाता है।