श्रीलंका इन दिनों चक्रवात ‘दित्वाह’ की भारी तबाही से जूझ रहा है। लगातार हो रही मूसलाधार बारिश, बाढ़ और भूस्खलन ने कई जिलों को देश के बाकी हिस्सों से पूरी तरह काट दिया। कई स्थानों पर सड़कें ध्वस्त हो चुकी, जिससे राहत व बचाव कार्य पहुँचना बेहद मुश्किल हो गया। हालात इतने गंभीर हैं कि 16 नवंबर से अब तक 390 लोगों की मौत हो चुकी, जबकि 352 लोग लापता बताए जा रहे हैं।इसी भयावह स्थिति के बीच भारत का राहत अभियान ‘ऑपरेशन सागर बंधु’ श्रीलंका के लिए सबसे बड़ी उम्मीद बनकर सामने आया। भारतीय एनडीआरएफ की टीमें लगातार प्रभावित इलाकों में फंसे लोगों को सुरक्षित स्थानों तक पहुंचा रही और आवश्यक मदद मुहैया करा रही हैं।
पुत्तलम जिले में भारतीय एनडीआरएफ ने मानवीय संवेदनशीलता की मिसाल पेश करते हुए नौ महीने की गर्भवती महिला को सुरक्षित रेस्क्यू किया। टीम ने जोखिमों के बीच पहुँचकर न केवल उसे बाहर निकाला, बल्कि तुरंत चिकित्सा सहायता भी उपलब्ध कराई, जिससे उसकी हालत स्थिर बनी हुई है।चक्रवात से सबसे अधिक प्रभावित इलाकों में बाढ़ का पानी अब भी भरा है और भूस्खलन का खतरा बना हुआ है। ऐसे में भारत का यह मानवीय अभियान श्रीलंका के लिए राहत की बड़ी किरण साबित हो रहा है। दोनों देशों के बीच आपदा के समय सहयोग की यह मिसाल क्षेत्रीय मानवीय मूल्यों और पड़ोसी देशों के मजबूत संबंधों को भी रेखांकित करती है।
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