वाराणसी में उत्तर और दक्षिण भारत की सांस्कृतिक विरासत को जोड़ने वाले प्रतिष्ठित काशी तमिल संगमम् के चौथे संस्करण की शुरुआत आज से हो रही है। यह आयोजन 15 दिसंबर तक चलेगा। इस वर्ष के संगमम् का प्रमुख थीम ‘तमिल करकलाम—आइए तमिल सीखें’ रखा गया है, जिसके केंद्र में तमिल भाषा और उसकी समृद्ध परंपरा को स्थान दिया गया है। कार्यक्रम में देशभर से आए 1400 से अधिक प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं।मंगलवार को पहली खेप में छात्र, शिक्षक और लेखकों का दल वाराणसी पहुंचा। बनारस स्टेशन पर उनके स्वागत के लिए रेड कारपेट बिछाया गया था।
स्वास्तिक मंत्रोच्चार, पुष्प वर्षा और माला पहनाकर प्रतिनिधियों का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। इस दौरान कुछ डेलीगेट डमरू और नगाड़ों की ताल पर उत्साह के साथ नाचते भी नजर आए।इसके बाद 216 सदस्यीय दल ने दोपहर में श्री काशी विश्वनाथ धाम में दर्शन-पूजन किया और अन्नक्षेत्र में प्रसाद ग्रहण किया। आगमन के साथ ही शहर में सांस्कृतिक उत्साह का माहौल देखने को मिला।शाम 5 बजे वाराणसी के नमो घाट पर काशी तमिल संगमम् 4.0 का औपचारिक शुभारंभ होगा। उद्घाटन कार्यक्रम में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, तमिलनाडु के राज्यपाल आर. एन. रवि, और पुदुच्चेरी के उपराज्यपाल के. कैलासनाथन सहित कई विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहेंगे।कार्यक्रम के दौरान तमिल और काशी की सांस्कृतिक, साहित्यिक और आध्यात्मिक विरासत को प्रोत्साहित करने हेतु अनेक सत्र, प्रदर्शनी और सांस्कृतिक प्रस्तुतियों का आयोजन किया जाएगा। यह आयोजन उत्तर और दक्षिण भारत की साझा परंपराओं को नई ऊर्जा और दिशा प्रदान करने की उम्मीद जगाता है।

