ठाकुर प्रसाद सिंह स्मृति साहित्य संस्थान के तत्वावधान में साहित्यकार ठाकुर प्रसाद सिंह की 101वीं जयंती पर नटीइमली चौराहा स्थित उनके स्मारक पर दीपदान और श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। शहर के साहित्यकारों, शिक्षाविदों और बड़ी संख्या में नागरिकों ने उनकी प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उनके अमूल्य साहित्यिक व सामाजिक योगदान को याद किया।कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने कहा कि ठाकुर प्रसाद सिंह का जीवन संघर्ष, समर्पण और वैचारिक दृढ़ता का अनूठा उदाहरण रहा है। बेहद पेचीदों और कठिन परिस्थितियों में पले-बढ़े ठाकुर जी के मन में महात्मा गांधी के विचारों, दर्शन और जीवन-मूल्यों के प्रति गहरी आस्था थी।
साथ ही, समाज परिवर्तन की साम्यवादी अवधारणा में उनका दृढ़ विश्वास लगातार उनकी रचनाओं और गतिविधियों में दिखाई देता है।शिक्षक, पत्रकार और प्रशासनिक सेवा में महत्वपूर्ण पदों पर रहते हुए भी ठाकुर जी ने साहित्य को सदैव अपनी प्राथमिकता में रखा। उनका महात्मा गांधी पर आधारित प्रथम प्रबंध काव्य ‘महामानव’ वर्ष 1946 में प्रकाशित हुआ, जो मराठी और गुजराती में भी अनूदित हुआ। 1959 में प्रकाशित गीत संग्रह ‘वंशी और मादल’ ने हिंदी साहित्य में नए गीतों की जो परंपरा शुरू की, वह आज प्रतिष्ठित नवगीत धारा के रूप में स्थापित हो चुकी है।
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