बीएचयू के विश्वनाथ मंदिर गर्भगृह के अरघे को चांदी से सुसज्जित किया जाएगा। विश्वविद्यालय प्रशासन ने इसको देखते हुए 15 फरवरी को मंदिर के गर्भगृह में 8 घंटे के लिए प्रवेश पर रोक लगा दिया है। भक्तगण गर्भ गृह के बाहर से ही भोलेनाथ का दर्शन-पूजन कर सकेंगे। मंदिर के मानित व्यवस्थापक प्रो. विनय कुमार पांडेय ने बताया कि गर्भगृह में 15 फरवरी को दोपहर 12 से रात 8 बजे तक श्रद्धालुओं का प्रवेश प्रतिबंधित रहेगा। उन्होंने बताया कि बाबा के अर्घा को चांदी से सुसज्जित किए जाएगा। बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है। इस मंदिर का निर्माण कई खंड में हुआ है। जानकारी के अनुसार मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन के बाद तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी।
उसके बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने 1954 में इसके निर्माण का काम पूरा कराया। हालांकि उस वक्त भी मंदिर के शिखर का काम अधूरा था। उसके बाद 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ।बीएचयू स्थित विश्वनाथ मंदिर द्रविण और नागर के साथ बेसर वास्तुशैली पर आधारित है। इस मंदिर का निर्माण कई खंड में हुआ है। जानकारी के अनुसार मार्च 1931 में महामना पंडित मदन मोहन मालवीय के निवेदन के बाद तपस्वी स्वामी कृष्णम ने इसकी आधारशिला रखी थी। उसके बाद उद्योगपति जुगल किशोर बिरला ने 1954 में इसके निर्माण का काम पूरा कराया। हालांकि उस वक्त भी मंदिर के शिखर का काम अधूरा था। उसके बाद 1962 में यह मंदिर पूरी तरह बनकर तैयार हुआ।