रजत मुखौटे पर सोहा मौर, भैरवी संग ब्याह रचाने पहुँचे रथारूढ़ बाबा लाट भैरव

भक्तों की आस्था से मंद पड़ा रथ का पहिया, कड़ी सुरक्षा के बीच संपन्न हुआ विवाह, ढाई किलोमीटर के बारात मार्ग को पार करने में लगे 10 घण्टे .

भगवान शंकर की प्रिय नगरी काशी में रुद्रावतार भैरव ने रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण किया।तो चहुँओर श्रद्धा, भक्ति और आस्था का ज्वार उमड़ पड़ा।स्कंदपुराण के काशी खण्ड में वर्णित बाबा श्री कपाल भैरव जिन्हें श्रद्धालु लाट भैरव के नाम से आठों पहर पूजतें हैं।जो काशीवासियों के पाप-पुण्य कर्म के शोधक हैं।ऐसे काशी के न्यायाधीश बाबा लाट भैरव जब माता भैरवी संग विवाह रचाने निकले तो असंख्य भक्तगण बाराती बन बारात में मग्न नज़र आएं।

रजत मुखौटे पर सोहा मौर, रथारूढ़ हुए बाबा लाट भैरव


बारिश के कारण देर शाम 6 बजे शुभ मुहूर्त में बाबा श्री लाट भैरव के रजत मुखौटे को पंचामृत स्नानादि कराकर विशेश्वरगंज स्थित इन्ना माई की गली में बारात की तैयारी प्रारम्भ हुई।आचार्य रविंद्र त्रिपाठी के आचार्यत्व में मुख्य यजमान शहर दक्षिणी विधायक पूर्व मंत्री डा नीलकंठ तिवारी ने वैदिक रीति से पूजन किया।रजत मुखौटे का विधिवत श्रृंगार कर सिर पर मौर धारण कराया।बाबा के मुखौटे को भव्य रथ पर विराजमान कराया गया।रथारूढ़ बाबा लाट भैरव के दिव्य मुखौटे के दमकते नेत्रों व ललाटाग्नि की शोभा भक्तों के समस्त सांसारिक कष्टों को हरने वाली सुखदायक थीं।ढोल-नगाड़े, शहनाई, बैंड-बाजे आदि की मंगल ध्वनियां बज रहीं थीं।शंकर पार्वती, हनुमान गणेश आदि कें देव स्वरूप में लाग विमान के साथ हाथी, ऊट, घोड़ा शामिल थे।बारात का नेतृत्व कर रहें श्री कपाल भैरव अथवा लाट भैरव प्रबंधक समिति के अध्यक्ष रोहित जायसवाल ने शुभता का प्रतीक नारियल फोड़कर हर हर महादेव के उद्घोष संग बारात शोभायात्रा का शुभारंभ किया।रथ पर बारात संयोजक विक्रम सिंह राठौर अपने सहयोगियों संग पारंपरिक वेष धोती, कुर्ता, साफा में बैठे भक्तों के चढ़ावे बाबा को सअर्पित करते नजर आएं।

बारात का प्रस्थान, हजारों भक्तों द्वारा आरती

बारात निर्धारित मार्ग हरतीरथ, विशेश्वरगंज चौराहा होते हुए काल भैरव मंदिर पहुँचा।काल भैरव प्रबंध समिति की ओर से परम्परागत रूप से बाबा श्री का विशेष श्रृंगार कर भव्य आरती उतारी गयीं।आगे जतनबर, दूध कटरा, कतुआपुरा, अम्बियामण्डी, बलुआबीर, हनुमान फाटक, तेलियाना तदुपरांत नउआ पोखरा स्थित लाट भैरव बाजार में जनवासे हेतु कुछ देर विश्राम के लिए रुका।कई डमरू दलों के लगभग सौ से अधिक सदस्य मार्ग पर्यंत डमरू नाद करते हुए चल रहें थें।मार्गभर में हज़ारों की संख्या में भक्त हाथों में पूजा की थाल सजाए, आकर्षक सुंदर पुष्पाहार, राग-भोग लिए बाबा के दर्शन पूजन को आतुर दिखाई पड़ रहे थें।दूर से ही रथ पर बाबा की झलक देख हर कोई निहाल हो रहा था।माताएं बहने छतों बरामदों से फूलों की वर्षा कर परिवार में सुख-समृद्धि की कामना कर रहीं थीं।दरवाज़े पर हर कोई सकुटुम्ब बाबा श्री की आरती उतार उनके मनोहारी दर्शन का पुण्य लाभ अर्जित कर रहा था।भक्तों के जनसैलाब से रथ का पहिया भी मंद पड़ गया।इसलिए 3 किलोमीटर के बारात मार्ग को पार कर मंदिर पहुँचने में लगभग 10 घण्टें से भी अधिक का समय लगा।ततपश्चात बारात जलालीपुरा होते हुए कज्जाकपुरा स्थित कपाल मोचन कुंड पहुँचा।


भाद्र पूर्णिमा को कपाल मोचन कुंड में स्नान करने से भैरवी यातना से मिलती है मुक्ति 

मार्ग में पड़ने वाले हर छोटे-बड़े मंदिरों में विशेष साज-सज्जा की गयीं थी।जहां सांस्कृतिक आयोजन व प्रसाद का वितरण किया जा रहा था।समिति के मीडिया प्रभारी शिवम अग्रहरि ने बताया कि धर्म नगरी काशी की परम्पराओं में विख्यात लाट भैरव विवाहोत्सव हिन्दूजनमानस को न सिर्फ आपस में जोड़ने का कार्य करती हैं, वरन हमें उत्सवधर्मिता के महत्व को भी परिभाषित करती है।भूतों के संघ के नायक बाबा लाट भैरव के इस विराट स्वरूप के दर्शन से प्रेतादि बाधाओं से मुक्ति मिलती है।स्कंदपुराण के काशी खंड के 100वें अध्याय में वर्णित कथानुसार भाद्र पूर्णिमा के दिन कपाल मोचन कुंड में स्नान करने व बाबा श्री के दर्शन से भैरवी यातना से मुक्ति मिलती है।


लाट भैरव मंदिर में शाम से देर रात्रि तक लंबी कतार, बाबा के जय-जयकार से गूंजता रहा दरबार

उधर लाट भैरव मंदिर में शाम से ही दर्शन प्रारम्भ हो चुका था।बाबा श्री के विशाल विग्रह को दशविध स्नान कराने रुद्राभिषेक कराया गया।उपरांत यौवन स्वरुप मुखौटा धारण कराया गया।नवीन वस्त्राभूषण से अलंकृत कर रुद्राक्ष, रजत मुंडमाला, बेला, गुलाब, कुंद आदि के पुष्पाहार से दिव्य श्रृंगार किया गया।इसके साथ ही गर्भगृह में प्रथम पूज्य देव गणेश, अष्ट भैरव, जगतजननी माँ काली, प्रिय वाहन स्वान का श्रृंगार किया गया था।पूरे मंदिर प्रांगण को सफेद व पीले रंग के भव्य पंडाल का आकार देकर आकर्षक ढंग से सजाया गया था।शाम से देर रात्रि तक भक्तों की लंबी कतार लगी रही।बाबा के दर्शन-पूजन से श्रद्धालु अपरिमित शांति की सुखद अनुभूति कर रहें थें।जय-जयकार से सम्पूर्ण परिक्षेत्र गुंजायमान हो उठा।मंदिर के फर्श पर लगे एलईडी स्क्रीन पर लगातार बारात का सजीव प्रसारण दिखाया जा रहा था।भक्तों में हलुआ घुघरी का प्रसाद वितरण किया गया।तालाब के चारोंओर मेले सा माहौल था।परिसर में चरखी-झूले, तरह तरह की दुकानें सजी हुईं थीं।रामबाग में नगर वधुओं ने बाबा के चरणों मे अपनी मनमोहक प्रस्तुती से हाज़िरी लगाई।

बारात का शुभागमन, द्वार-पूजन, परछन व वैवाहिक अनुष्ठान

कुंड पर बारात के शुभागमन होते ही वैवाहिक उमंग कई गुना बढ़ गया।मुख्य द्वार पर लगाए गए केले के खम्बे, पुराये गए चौक, माड़ो, कोहबर सहित अन्य मंगलिक चिन्ह अपने आराध्य के पावन स्पर्श के निमित्त प्रतीक्षारत थें।महिलाएं मंगल गीत गा रहीं थीं।वैदिक मंत्रोच्चार के मध्य द्वार पूजन, परछन के साथ ही अन्य वैवाहिक संस्कार के सभी विधानों को शास्त्रोक्त विधि से पूर्ण किया गया।भैरवी कूप की पांच परिक्रमा के बाद रजत मखौटे को विग्रह पर धारण कराया गया।विवाह संपन्न होने के उपरांत ब्रम्ह मुहूर्त में मंगला आरती उतारी गयी।इस दौरान उपाध्यक्ष बसंत सिंह राठौर, प्रधानमंत्री छोटेलाल जायसवाल, मंत्री मुन्ना लाल यादव, कोषाध्यक्ष छोटन केशरी, नंदलाल प्रजापति, बच्चे लाल बिंद, मीडिया प्रभारी शिवम अग्रहरि, अंकित जायसवाल, निक्की जायसवाल,  सुशील जायसवाल, हिमांशु अग्रहरि, आशीष कुशवाहा, मंदीप, नवीन, निखिल, विनोद, सचिन, अरविंद, रूपेश, धनश्याम, आलोक, आदि रहें।बुधवार को सायंकाल 6 बजे से वृहद रूप से खिचड़ी के भंडारे का आयोजन किया जाएगा

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