संस्कृत भाषा के प्रचार प्रसार के लिए कार्यरत संस्था इंडोलॉजी क्लासिक इनपुट समिति के 20 वर्ष हुए पूर्ण, सदस्यों ने संस्था के कार्यों के विषय में दी जानकारी

नवोन्मेष २००५ में शास्त्र संरक्षण को आधुनिक तकनीक से जोडते हुए सामान्य जनमानस को सुलभ कराने के पुनीत संकल्प के साथ काशी में इण्डोलॉजी क्लासिक इनपुट सोसायटी की स्थापना की गई। संस्था के निदेशक डॉ. संतोष कुमार ‌द्विवेदी ने बताया कि शास्त्रों के संरक्षण के क्रम में इस संस्था ने देश के विभिन्न भागों से पाण्डुलिपियों का संग्रह किया है। संस्था के विद्वत्-मण्डल एवं टेक्निकल विशेषज्ञों की टीम ने महाराष्ट्र के बुलढाणा जाकर दो हजार पाण्डुपियाँ का डिजिटिलाइजेश किया।

संस्था को मुख्यरूप से एशियन क्लासिक्स इनपुर प्रोजेक्ट, एशियन लेगेसि लाइब्रेरी, डायमण्ड कटर इन्स्च्ट्यूट का सहयोग प्राप्त होता रहता है।संस्था ‌द्वारा १५ दिनों का इंटर्नशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम भी पिछले ३ वर्षों से चल रहा है, जिसमे हेरिटेज मैनेजमेंट और मनुस्क्रिप्टोलॉजी विभाग, काशी हिन्दू विश्ववि‌द्यालय के स्टूडेंट्स भाग ले रहे हैं. इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में संस्कृत भाषा जो देवनागरी लिपि में लिखे हुए है, उनको IAST sanskrit diacritical marks में कैसे बदला जाये, इसको बताया जाता है। 


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