ब० रे० का० इण्टर कॉलेज सभागार में आजादी के अमृत महोत्सव श्रृंखला के अंतगर्त - " आजादी की लड़ाई में शिक्षा की भूमिका " विषय पर संगोष्ठी आयोजित की गयी | कार्यक्रम का शुभारम्भ प्रभारी प्राचार्य धर्मवीर सिंह एवं वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यापर्ण से हुआ | इतिहास प्रवक्ता सगराम भास्कर ने देश के संविधान निर्माण में शिक्षा के योगदान पर प्रकाश डाला। हिंदी प्रवक्ता राकेश चौधरी ने आजादी का अर्थ, अनुशासन एवं वीरांगनाओं के योगदान की चर्चा की अध्यापिका रेशमा अबरोल ने स्वतंत्रता संघर्ष में बांग्ला भाषा के योगदान को रेखांकित किया। हिंदी अध्यापिका शालिनी उपाध्याय ने राष्ट्र कवि मैथली शरण गुप्त की प्रसिद्ध रचना " कैदी और कोकिला " का जिक्र करते हुए आजादी का महत्त्व समझाया।
अध्यापक धीरेन्द्र कुमार सिंह ने संविधान की 22 भाषाओँ में अंग्रेजी नहीं होने की चर्चा करते हुए अंग्रेजों की शिक्षा नीति की खामियों और काले अंग्रेज़ बनाने की नीति को उजागर किया। कक्षा 12 स के छात्र ने डॉ० बी० आर० अम्बेडकर को रेखांकित करते हुए कहा " शिक्षा शेरनी का दूध है जो पियेगा वो दहाड़ेगा। " छात्रा वैष्णवी ने " सलाम उन शहीदों को जो सो गए " गीत गाकर समां बाँध दिया। छात्रा वैशाली तिवारी ने स्त्री शिक्षा के प्रति जागरूकता पर जोर दिया। भूगोल प्रवक्ता विकास कुमार पांडेय ने लार्ड मैकॉले की शिक्षा नीति का जिक्र किया तथा राजा राममोहन रॉय ,स्वामी विवेकानन्द, ज्योतिबा फुले ,सर सैय्यद अहमद खां के शिक्षा के प्रति योगदान का जिक्र करते हुए लोकगीत के माध्यम से स्वतंत्रता की अलख जगाने की परिपाटी का स्मरण कराया। विद्यालय के वरिष्ठ प्रवक्ता एवं प्रभारी प्राचार्य धर्म वीर सिंह ने आजादी के संघर्ष में शिक्षा के महत्त्व पर प्रकाश डाला। इस कार्यक्रम का सफल काव्यमय संचालन अध्यापिका करुणा सिंह ने किया।