सावन के सातवे सोमवार पर काशी में श्रद्धालुओं का जनसैलाब उमड़ पड़ा। बाबा भोले की नगरी काशी केसरिया रंग मे रंगी नजर आयी। और हर ओर बाबा के गगनभेदी जयकारे गूंज उठे। बाबा काशी विश्वनाथ के दर्शन हेतु भक्तो की अपार भीड़ देखने को मिली। मंगला आरती के बाद से ही भक्तों के लिए बाबा दरबार खोल दिया गया।
इस दौरान बाबा की सुसज्जित झांकी का दर्शन कर भक्त भाव विभोर हो उठे। लाखों की तादाद में श्रद्धालुओं ने बाबा दरबार में हाजिरी लगाई । हर हर महादेव जय कारे के बीच भक्तो ने दर्शन पूजन कर बाबा का जलाभिषेक किया। वही श्रद्धालुओ की भीड़ को देखते हुए वाराणसी कमिश्नर पुलिस हर शिवालयों में मौजूद रही।
नगर में काफी संख्या में आये श्रदालुओ की भीड़ को देखते हुए जगह जगह मन्दिर क्षेत्र के आस पास फलाहार का वितरण समाजिक कार्यकर्ताओ द्वारा किया गया । लक्ष्मी कांत मिश्रा सुबह से ही हजारों श्रदालुओ के आव भगत में लगे रहे। उन्होंने आये श्रदालुओ हेतु फलाहार की विशेष व्यवस्था की। दर्शन पूजन कर निकले भक्तो ने कहा की व्यवस्था बहुत ही अच्छी की गयी है निर्बाध रूप से दर्शन पूजन का कार्य चल रहा है।
इसी कड़ी में श्रावण मास के सातवें सोमवार को ईश्वरगंगी स्थित जागेश्वर महादेव का भव्य श्रृंगार किया गया। वही मंदिर की अनेक फूल पत्तियों से सजावट की गयी।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में भक्तो ने बाबा का दर्शन पूजन कर उनका जलाभिषेक किया। और सुख समृद्धि की कामना की। पूरे मन्दिर प्रांगण को आकर्षक रूप देकर पाठ का आयोजन किया गया। आये हुए श्रदालुओ व मन्दिर के महन्त मधुर कृष्ण महराज ने आज के पूजन अर्चन के महत्व को विस्तार से बताया।
इसी क्रम में वनखंडी महादेव मंदीर मे भक्तो ने पहुँच कर हाजिरी लगाई। भोर से ही भक्तो के मन्दिर पहुँचने का क्रम प्रारंभ हो गया। श्रद्धालुओ ने बाबा को बेलपत्र, मदार की माला, फल फूल मिष्ठान अर्पित कर उनका जलाभिषेक किया। बाबा विश्वनाथ की नगरी काशी का इतिहास हजारों साल पुराना है। मान्यता के मुताबिक, भगवान शिव के त्रिशूल पर बसे इस अद्भुत शहर में यूं तो कई शिव मंदिर हैं, इसी तरह काशी में एक अद्भुत मंदिर है। शहर के रविन्द्रपुरी इलाके में बनखंडी महादेव का प्राचीन मंदिर है। इस 200 साल पुराने मंदिर का निर्माण शिवलिंग की आकृति में किया गया है। जो की इस मंदिर की खूबसूरती को बढ़ा देता हैं। शिवलिंग के आकार वाले इस मंदिर की ऊंचाई 60 फीट और इसका व्यास 30 फीट है।
मंदिर के प्रबंधक अनूप लालवानी ने बताया कि 1818 में स्वामी बनखंडी महाराज ने इसकी स्थापना किया था। उसके बाद 1993 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और इसे शिवलिंग की आकृति में बनाया गया। बनखंडी महाराज के नाम पर ही इस मंदिर का नाम बनखंडी महादेव पड़ा। इस अनोखे शिवलिंग को आसमान से निहारने पे इसकी सीढियां अरघे के रूप की नजर आती है। इस मंदिर में भगवान शंकर, भगवान गणेश, संकटमोचन हनुमान के अलावा आदिशक्ति की प्रतिमा भी स्थापित है। प्रत्येक सोमवार को यहां भक्तों की भीड़ होती है और सावन के महीने में हर दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु मत्था टेकने के लिए आते हैं।