संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में पं. गोपीनाथ कविराज की मनी जयंती

पद्म विभूषण, महामहोपाध्याय पंडित गोपीनाथ कविराज की 137 वीं जयंती मनायी गयी। संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय परिसर स्थित योगसाधना केे संवाद कक्ष में आयोजित पं. गोपीनाथ कविराज की 137वीं जयंती पर विश्वविद्यालय के परीक्षा नियंत्रक एवं वेदांती प्रो. सुधाकर मिश्र ने बतौर अध्यक्ष कहा कि महापुरुषों के जीवन से हमें जीवन जीने की कला प्राप्त होती है। प्रत्येक समस्या का समाधान मिलता है। पद्म विभूषण, महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज संस्कृत वांगमय के प्रकांड विद्वान थे। विश्वविद्यालय में तंत्रागत विभाग की स्थापना उन्होंने ही की थी। उन्हें चलता-फिरता विश्वकोश माना जाता था। 


वह भारतीय दर्शन की एक शाखा नहीं पूरी संस्था थे। बतौर मुख्य अतिथि तंत्र आगम विभाग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. शीतला प्रसाद उपाध्याय ने कहा कि दुनियां में तंत्र शास्त्र को पहचान दिलाने वाले तथा भारतीय शास्त्रों के अतिरिक्त भी पं. गोपीनाथ कविराज को सूफीवाद व ईसाई रहस्यवाद का भी गहन ज्ञान था। शास्त्र उनके जुबान पर रहता था। संगोष्ठी के प्रारम्भ में मंचस्थ अतिथियों के द्वारा वैदिक मंत्रोच्चार के साथ दीप प्रज्वलन मां सरस्वती एवं पंडित गोपीनाथ कविरा के प्रतिमा पर माल्यार्पण एवं वैदिक आचार्य के द्वारा मंगलाचरण प्रस्तुत किया गया।

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