संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह हुआ संपन्न

 सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ.समारोह की अध्यक्षता कुलाधिपति राज्यपाल आनंदीबेन पटेल द्वारा की गयी। समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, नई दिल्ली के कुलपति प्रोफेसर श्रीनिवास वरखेड़ी तथा विशिष्ट अतिथि के रूप में उत्तर प्रदेश सरकार में विज्ञान एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय मौजूद रहे। उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय का 41वां दीक्षांत समारोह सम्पन्न हुआ। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए राज्यपाल ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि छोटे-छोटे बच्चों को संस्कृत विश्वविद्यालय में पढ़ते देख उन्हें बहुत प्रसन्नता हुई उन्होंने संस्कृत में महिलाओं व छात्राओं के द्वारा पीएचडी उपाधि प्राप्त करने पर भी प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे हमारी ज्ञान परंपरा विश्व में फैलेगी। उन्होंने काशी को न्याय की भूमि बताया। उन्होंने मुख्य अतिथि के प्रति आभार जताते हुए कहा कि सेंट्रल संस्कृत यूनिवर्सिटी सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय की मदद के लिए तैयार है। उन्होंने कहा की महिलाएं जब शिक्षित होंगी तब सभी बुराईयां खत्म होगीं। 

कार्यक्रम की शुरुआत में राज्यपाल द्वारा विश्वविद्यालय की ऑनलाइन संस्कृत प्रशिक्षण केंद्र तथा डिजिलॉकर व्यवस्था का बटन दबाकर की गयी अब विश्वविद्यालय की डिग्रियों को ऑनलाइन डिजिलॉकर के माध्यम से भी डाउनलोड किया जा सकता है। राज्यपाल द्वारा अभिनव प्रकाश, नितिन कुमार, संध्या पटेल, पवन कुमार पांडेय समेत कुल 33 विद्यार्थियों को 59 स्वर्ण पदक प्रदान किया गया। राज्यपाल द्वारा आंगनबाड़ी कार्यकत्रियों को तथा संस्कृत विद्यालय के छात्र-छात्राओं को कुर्सी, टेबल, बैग आदि उपहार स्वरूप भेंट किया गया। मुख्य अतिथि द्वारा समारोह में बोलते हुए कहा गया कि काशी वर्तमान में हमारे प्रधानमंत्री की कर्मभूमि भी है। वर्तमान में भारत अमृत काल में प्रवेश कर चुका है जो कि बिना अमृत भाषा अर्थात संस्कृत के संभव नहीं है। कुलपति प्रो बिहारी लाल शर्मा द्वारा समारोह में आये अतिथियों का अभिवादन करते हुए स्वागत भाषण दिया गया तथा विश्वविद्यालय की उपलब्धियों को अतिथियों के समक्ष रखा गया। समारोह की शुरुआत में विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा मंत्रोच्चार तथा कुलगीत प्रस्तुत किया गया।

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