मकर संक्रांति हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है। इस दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व है। सूर्य धनु राशि को छोड़ मकर राशि में प्रवेश करते है। इस वजह से इस पर्व को मकर संक्रांति कहा जाता है
मकर संक्रांति पूरे भारत में विभिन्न रूपों से मनाया जाता है। इस कारण इसे- उत्तर भारत में खिचड़ी, बिहार में तिला संक्रांत', तमिलनाडु में पोंगल, आंध्र प्रदेश कर्नाटक और केरल में इसे केवल संक्रांति भी कहा जाता हैं मकर संक्रान्ति पर्व को कहीं-कहीं उत्तरायण भी कहते हैं।
इस साल 14 जनवरी को सूर्य का मकर राशि में प्रवेश रात 2 बजकर 43 मिनट पर होगा। मकर संक्रांति में स्नान-दान का महत्व अधिक रहता है और इसके लिए प्रात:काल का समय ही उत्तम रहता है। ऐसे में इस साल मकर संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी।
मकर संक्रांति का उत्सव भगवान सूर्य की पूजा के लिए समर्पित है. भक्त इस दिन भगवान सूर्य की पूजा कर आशीर्वाद मांगते हैं, इस दिन से वसंत ऋतु की शुरुआत और नई फसलों की कटाई शुरू होती है. मकर संक्रांति पर भक्त गंगा, यमुना, गोदावरी, सरयू और सिंधु नदी में पवित्र स्नान करते हैं और भगवान सूर्य को अर्घ्य देते हैं, और जरूरतमंद लोगों को भोजन, दालें, अनाज, गेहूं का आटा और ऊनी कपड़े दान करना शुभ माना जाता है. और इसके साथ ही तिल गुड़ खाने से दरिद्रता नष्ट होती है और मकर संक्रांति पर ठंड रहती है, ऐसे में तिल-गुड़ का सेवन करने से शरीर में स्फूर्ति आती है
इस दिन पतंग उड़ाई जाती है. पतंग उड़ाने का उद्देश्य सूर्य के प्रकाश में समय बिताना है. वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो मकर संक्रांति पर सूर्य की किरणें अमृत समान होती है. साथ ही मकर संक्रांति पर विशेषकर चावल, दाल, सब्जियों, गुड़, घी से बनी खिचड़ी का भोग लगाया जाता है. मान्यता है इसके सेवन और दान से नवग्रह प्रसन्न रहते हैं.