विश्वविद्यालय की जमीन का दो एकड़ हिस्सा बेचे जाने का आरोप लगाते हुए संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्रों ने दिया धरना

संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में छात्रों का धरना प्रदर्शन चल रहा है। छात्र जोरदार नारेबाजी कर रहे हैं। छात्रों का आरोप है कि विश्वविद्यालय परिसर की जमीन का दो एकड़ हिस्सा राज्य सरकार को बेचा जा रहा है। बिजली विभाग कैंपस की जमीन की पैमाइश करा रहा है। छात्र संघ और अध्यापक संघ के विरोध के बाद बिजली विभाग के कर्मचारियों को वापस लौटना पड़ा। इसके बाद धरने पर उतरे छात्रों ने कहा कि 250 साल पुराने इतिहास वाले इस शिक्षा के मंदिर की 1 इंच भी जमीन नहीं बिकने देंगे। विश्वविद्यालय में 200 करोड़ रुपए की लागत से 132 किलोवाट (KV) कैपेसिटी का बिजली विभाग का पॉवर हाउस बनना है। 

जमीन की नपाई के लिए कमेटी बनाई गई है। छात्र इसी कमेटी का विरोध जता रहे हैं। वरिष्ठ छात्र नेता साकेत शुक्ला ने कहा कि रजिस्ट्रार के द्वारा जारी आदेश के बावजूद बिजली विभाग के कर्मचारी जमीन की पैमाइश कर रहे हैं। शिक्षा की धरती पर बिजली घर बनाना कहां से उचित है। ये तो शिक्षा के माहौल के साथ खिलवाड़ है। आज ये अत्यंत पीड़ा का विषय है कि जिस भूमि पर विद्या ग्रहण किया गया, आज उसकी जमीन के लिए लड़ाई लड़नी पड़ रही है।संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के पूर्व उपाध्यक्ष रंजीत तिवारी ने कहा कि हम जिस जमीन पर पढ़कर निखरे और संवरे,वहां की अस्मिता बचाने के लिए हमें संघर्ष करना पड़ रहा है। ये विवाद आज से नहीं पिछले दो कुलपतियों के टाइम से चल रहा है। उस पद पर जब नहीं होते तो लोग विश्वविद्यालय के संरक्षण, संवर्द्धन और विकास की बात करते हैं लेकिन, कुलपति के पद पर पहुंचने के बाद व्यक्तिगत विकास होने लगता है। विद्वानों में विद्वता जरूरी अच्छी बात है, लेकिन वो उतना अच्छा प्रशासन संभाल ले, यह जरूरी नहीं।

Post a Comment

Previous Post Next Post