नाग पंचमी के अवसर पर जैतपुरा स्थित नाग कुआं मंदिर में भक्तों की अपार भीड उमड़ी। हाथों में लावा दूध फल बेलपत्र लेकर मंदिर पहुंचे और लाइन में लग कर दर्शन पूजन किया। और वहां बने कुंड में दुग्धाभिषेक कर परिवार के सुख समृद्धि की कामना की । भीड़ को देखते हुए पुलिस प्रशासन की विशेष व्यवस्था दिखाई दी. जहां लोगों को लाइन में लगाकर पुलिसकर्मियों द्वारा दर्शन पूजन कराया गया ।
मंदिर के पुजारी कुंदन ने बताया की आज के पूजन का विशेष महत्व है यहाँ पूजन करने से कालसर्प दोष से भी मुक्ति मिलती है यहां आज के दिन दूर-दूर से लोग आकर सर्प दोष से मुक्ति पाते हैं विशेष पूजन अर्चन किया जाता है वही पहुंचे भक्तों ने भी इस मंदिर के महत्व को बताया।
हिंदू मान्यता के अनुसार, हर साल शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को शिव के प्रिय सांपों के पूजन का त्योहार नाग पंचमी मनाया जाता है। नाग देवता की कृपा और कालसर्प दोष को समाप्त करने के लिए इस दिन नाग देवता की विशेष पूजा की जाती है। वही शिव की नगरी में एक विशेष मंदिर स्थित है, जहां नाग पंचमी के दिन केवल दर्शन मात्र से कालसर्प दोष की समाप्ति हो जाती है। यह जैतपुर क्षेत्र में नाग कुआं के नाम से प्रसिद्ध है
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शिव नगरी काशी में नाग कुंड के अंदर ही एक कुआं है, जहां एक प्राचीन शिवलिंग भी स्थापित है। इस शिवलिंग को ‘नागेश’ के नाम से जाना जाता है। यह शिवलिंग साल भर पानी में डूबा रहता है और नाग पंचमी के पहले कुंड का पानी निकाल कर शिवलिंग का श्रृंगार किया जाता है। धार्मिक मान्यताओं की मानें तो यहां पर आज भी नाग निवास करते हैं।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, भगवान शिव के गले का हार नाग वासुकी हैं। वहीं जगत के पालनहार भगवान विष्णु भी नाग की शय्या पर शयन करते हैं। इसके अलावा विष्णु की शय्या बनें शेषनाग पृथ्वी का भार भी संभालते हैं। मान्यता है कि नाग भले ही विष से भरे हों लेकिन वह लोक कल्याण का कार्य अनंत काल से करते आ रहे है। इन्हीं नाग देव को मनाने के लिए नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है, जिससे नाग का भय न हो और साथ ही कुंडली में अगर कालसर्प दोष हो तो वह उसेभी समाप्त करें।