जब जब प्रकृति सुन्दरी ने सोलह श्रृंगार सजा कर अपना रूप निखारा, रंग बिरंगे फूलों की चूनर ओढी खेत की हरितिमा से अपना आवरण रंगा या चाँद तारों की बिन्दिया सजायी, मांग में बाल अरुण की लालिमा रूपी सिन्दूर भरा, इन्द्रधनुषी भौहे तान, काली घटा का अंजन आंजा, और विराट को लुभाने चली, तब तब धरती मुग्ध हो झूम उठी। घरती पुत्र कृत कृत्य हो मदमस्त हुआ। वह मस्ती में नाचने लगा। प्रकृति का बदलता सौन्दर्य मानव मन में उमड़ती उमंग और उल्लास के रूप में प्रकट हो उसे पर्व प्रेमी बना दिया। जाते हुये सावन की रिमझिम, सावन की काली अँधियारी रात के दहलीज पर खड़ा हो सुदर्शन चक्रधारी योगेश्वर श्रीकृष्ण की नटखट बालक्रीडाओं को जैसे देखने को आतुर है। ऐसे मनभावन वातावरण में स्वामी हरसेवानन्द पब्लिक स्कूल गढ़वाघाट में सावन महोत्सव का आयोजन हुआ।
बच्चों ने सावन के गीत, कजरी, शिव स्तुत्ति एवं कृष्णा के विभिन्न रूपों को अपनी नृत्य नाटिका का अंश बनाया। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रबंधक बाबा प्रकाश ध्यानानंद द्वारा विद्यालय के प्रेरणा स्रोत के चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलन कर किया गया। उक्त अवसर पर विद्यालय के प्रबन्धक बाबा प्रकाशध्यानानन्द ने अमृतोत्सव को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारतवर्ष परम्परा एवं संस्कृति का देश है यहाँ प्रत्येक दिन, प्रत्येक महीना, प्रत्येक वर्ष किसी ना किसी रूप में मानव को आनन्द प्रदान कराने का माध्यम बनते हैं, फिर सावन तो सावन ही है। सावन ऋतु परिवर्तन का नाम ही नहीं अपितु राष्ट्रीय पर्यावरणीय एवं पारम्परिक भाव अभिव्यक्त करने का महापर्व बन चुका है।
इस अवसर पर विभिन्न वेशभूषाओं में उपस्थित बच्चों ने एक से बढ़कर एक कार्यक्रम प्रस्तुत किया भगवान श्री कृष्णा और राधा के रूप में सजे बच्चों ने विभिन्न लीलाएं प्रस्तुत की नृत्य नाटिका गायन वादन से बच्चों ने सभी को भाव विभोर कर दिया पूरा विद्यालय प्रांगण तालिया की गड़गड़ाहट से गूंज उठा।
उक्त अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य चन्द्रशेखर सिंह, सुनील तिवारी, ए. के. सिंह, सुबास सिंह, योगेश राय, अर्चना मोहिले. आशा यादव, रेखा राय, अंकिता सिंह, अंकिता ओझा, दिक्षा राय, अपराजिता पाण्डेय, पूजा शेर सिंह, पूजा सिंह सहित सभी शिक्षक-शिक्षिकाएं तथा अभिभावक मौजूद रहे। कार्यक्रम का संचालन श्रेया व सुभांगी ने संयुक्त रूप से किया।