कजरी तीज पर काशी में जलेबा खाने की निभाई गई परंपरा, दुकानों पर रही खूब भीड़

हिन्दू पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि पर कजरी तीज मनाई जाती है। कजरी तीज को कज्जली तीज, सातुड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है । कजरी तीज एक सजीला पर्व है, यानी इस दिन स्त्रियां साज-श्रृंगार करके भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करके सुखी वैवाहिक जीवन और संतान प्राप्ति की कामना करती हैं। 

वही धर्म नगरी काशी में इस पर्व का अलग ही महत्व होता है। इस दिन पूजन पाठ के साथ ही जलेबा खाने की परंपरा है। शहर के हर गली मोहल्ले में कजरी तीज का पर्व बेहद ही उत्साह के साथ मनाया जाता है और जगह-जगह दुकाने लगती है जहां पर जलेबा बनता है जिसे खाने के लिए लोगो की खूब भीड़ उमड़ती। जलेबा जलेबी का ही बड़ा रूप होता है। 

वही कजरी तीज के मौके पर शहर के सभी गली मोहल्ले गुलजार रहे दोपहर बाद से दुकाने सजने लगी। और शाम होते होते इन दुकानों पर काफी भीड़ देखने को मिली परंपरा है कि इस दिन जलेबा खाया जाता है और महिलाएं पूरी रात रत जग्गा करती है और कजरी केए पारंपरिक गीत गाती हैं। काशी में इस परंपरा का निर्वाह किया जाता है जहां जगह-जगह महिलाओं की टोलियां जलेबा खाने के साथ ही कजरी गीत गाकर इस पर्व को मानती हैं।



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