महामना मालवीय गंगा शोध केंद्र, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी के बंद होने के विरोध में गंगामित्रों की ओर से एक महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता का आयोजन किया गया। गंगा सेंटर पर आयोजित इस कार्यक्रम में सैकड़ों गंगामित्रों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और गंगा शोध केंद्र को पुनः खोलने की मांग को लेकर एकजुटता दिखाई।
प्रेस वार्ता के दौरान, गंगामित्रों ने गंगा शोध केंद्र के बंद होने के नकारात्मक प्रभावों पर प्रकाश डाला। यह संस्थान गंगा की स्वच्छता, जल संरक्षण, और पर्यावरण संरक्षण से जुड़े विभिन्न तकनीकी और सामाजिक पहलुओं पर कार्यरत था। इसके बंद होने से न केवल गंगा मिशन के तहत चल रहे कार्यों को बड़ा झटका लगा है, बल्कि सैकड़ों गंगामित्रों की वर्षों की मेहनत भी प्रभावित हो रही है।गंगामित्रों ने स्पष्ट किया कि गंगा शोध केंद्र केवल एक संस्थान नहीं, बल्कि एक आंदोलन है, जिसका उद्देश्य गंगा की स्वच्छता और जल संरक्षण को लेकर देश भर में जागरूकता फैलाना है। गंगामित्रों का मानना है कि इस केंद्र को बंद करना न केवल एक वैज्ञानिक एवं पर्यावरणीय हानि है, बल्कि यह भावनात्मक रूप से भी एक धक्का है।प्रेस वार्ता के अंत में, गंगामित्रों ने यह भी घोषणा की कि यदि केंद्र को पुनः नहीं खोला गया तो गंगामित्र परिवार अपनी आवाज को और भी मजबूती से उठाएगा। इसके लिए विभिन्न सामाजिक और पर्यावरणीय संगठनों के साथ मिलकर एक राष्ट्रीय आंदोलन शुरू किया जाएगा।प्रोग्राम के दौरान गंगामित्र कॉर्डिनेटर धर्मेंद्र कुमार पटेल, वैभव पाण्डेय,संघमित्रा गौंड,अजीत पटेल,टीपू खान,सी शेखर,संदीप राजभर,कमलेश यादव,राधा मौर्या,रामवर्मा,सूरज,खुश्बू, निकिता,बीनू,सीनू,आँचल,धर्मेंद्र कुमार,जय प्रकाश, रौनक,अरिमित सिंह,श्याम आदि गंगामित्र उपस्थित रहे ।