प्रदेश में आयुष्मान योजना के लगभग 3 करोड़ से अधिक कार्ड धारक होने का दावा सरकार करती है। वहीं जमीनी हकीकत यह है कि एक ओर जहां निजी अस्पतालों में मरीज को मनमानी तरीके से कार्ड के लाभ से दूर किया जा रहा है। वहीं सरकारी अस्पतालों में चिकित्सकों का मरीजों के साथ सौतेला व्यवहार उन्हें इलाज से दूर कर रहा है। ऐसा ही कारनामा पं.दीनदयाल उपाध्याय राजकीय चिकित्सालय का प्रकाश में आया है।
शिवपुर स्थित कांशीराम आवास निवासिनी 65 वर्षीय प्रभावती देवी को उनके पति छांगुर राम ने हीमोग्लोबिन की मात्रा कम होने पर 29 सितंबर को डीडीयू अस्पताल में भर्ती कराया। चूंकि प्रभावती देवी आयुष्मान कार्ड धारक हैं तो उन्हें आयुष्मान वार्ड में भर्ती कर चिकित्सक द्वारा इलाज शुरू किया और परिजनों से दो यूनिट रक्त की व्यवस्था करने हेतु कहा। परिजन जब रक्त की व्यवस्था नहीं कर पाए तो उन्होंने सीएमएस डॉ.दिग्विजय सिंह को सभी बातों से अवगत कराया। सीएमएस ने उनकी बात सुन 30 सितम्बर को एक यूनिट रक्त ब्लड बैंक से उपलब्ध कराया और कहा कि आपको कोई परेशानी नहीं होगी। परन्तु इलाज कर रहे चिकित्सक ने मरीज के स्वास्थ होने से पूर्व ही 1 अक्टूबर की प्रातः अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया। परेशान हाल परिजन पुनः 2 अक्टूबर को सीएमएस के पास पहुंचे और आपबीती सुनाई। मरीज प्रभावती के परिजनों की बात सुन सीएमएस ने उन्हें अस्पताल के आयुष्मान में ही रहने व दूसरे चिकित्सक से जांच कराकर समुचित इलाज का भरोसा दिलाया।
विदित हो कि उक्त मरीज का इलाज डॉ.पी.के.सिंह फिजिशियन द्वारा किया जा रहा था। उक्त चिकित्सक के खिलाफ लगातार जिला प्रशासन से लेकर सीएमओ व अस्पताल प्रबंधन तक को जानकारी होने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। विगत दिनों प्रभारी मंत्री के निरीक्षण व एक सप्ताह पूर्व सीडीओ हिमांशु नागपाल के निरीक्षण के दौरान भी शिकायतें मिली थीं।