सात वार और नौ त्यौहार वाली काशी तीनों लोकों में न्यारी है जो कि अपनी अनूठी परंपराओं के लिए पूरे विश्व में जानी जाती है। ऐसी ही एक अनूठी परंपरा काशी में हर वर्ष विजयादशमी के अगले दिन निभाई जाती है जिसे भरत मिलाप की लीला कहते हैं । नाटी इमली के ऐतिहासिक मैदान में इस अद्भुत लीला का मंचन होता है जिसे देखने के लिए देश विदेश से लाखों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। रविवार को सैकड़ों वर्षो से चली आ रही इस अद्भुत परंपरा के लोग साक्षी बने।
इस पूरे आयोजन में यादव बंधुओं का विशेष सहयोग होता है। क्योंकि चित्रकूट रामलीला समिति की ओर से आयोजित इस लीला हेतु प्रभु पात्रों का रथ यादव बंधु अपने कंधों पर उठाकर लीला स्थल पर लाते हैं। इस परंपरा को निभाते हुए बड़ी संख्या में यादव बंधु आंखों में सुरमा लगाई पारंपरिक धोती बनियान पहने लाल पगड़ी लगाए मौजूद रहे और प्रभु श्री राम माता सीता लक्ष्मण भरत शत्रुघ्न को अपने कंधों पर बिठाकर लीला स्थल पहुंचे। आपको बता दे कि यह पुष्पक विमान 5 टन का होता है जिसे यदुवंशी अपने कंधों पर उठाते हैं। यह सभी जिन भी मार्गो से होकर गुजरे वह पूरा क्षेत्र जय श्री राम के उद्घोष व हर-हर महादेव के उद्घोष से गूंज उठा।
बताया जाता है कि लगभग पांच सौ वर्ष पहले संत तुलसीदास जी के शरीर त्यागने के बाद उनके समकालीन संत मेधा भगत काफी विचलित हो उठे । मान्यता है की उन्हें स्वप्न में तुलसीदास जी के दर्शन हुए और उसके बाद उन्ही के प्रेरणा से उन्होंने इस रामलीला की शुरुआत की। असत्य पर सत्य की जीत का पर्व होता है दशहरा और इस पर्व के दुसरे दिन एकादाशी के दिन काशी के नाटी इमली के मैदान में इस भरत मिलाप का आयोजन किया जाता है जिसमें प्रभु श्रीराम और चारो भाइयों के मिलने पर लगता है मानो भगवान् धरती पर उतर आये हो और इस क्षण को अविस्मरणीय बनाने के लिए ही यहाँ लाखों की भीड़ होती है । यादव बंधू प्रभु के रथ को खींचते है और अपने को धन्य मानते है।
भरत और प्रभु श्रीराम के इस मिलाप के विहंगम दृश्य को देखने के लिए दोपहर से ही भरत मिलाप मैदान में लाखों की भीड़ जुटनी शुरू हो गयी। प्रभु के अपने भाइयों से मिलने की इस अप्रतिम दृश्य को हर कोई अपने कैमरे में कैद करने के लिए लालायित दिखाई पड़ता है।
लंका में रावण पर विजय प्राप्त करने के बाद मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम जब वापस लौटते है तो उनके दर्शन के लिए आतुर अनुज भरत और शत्रुधन उनका बेसब्री से इन्तजार करते है और उनके इसी मिलन को 481 वर्षो से परंपरा के रूप में यहाँ दर्शाया जा रहा है जो लक्खा मेले में भी शुमार है और इसमें भगवान् राम का जीवंत दर्शन होता है। मान्यतानुसार काशी की ये लीला 481 वर्ष पुरानी है। काशी की इस परम्परा में लाखों का हुजूम उमड़ता है जिसमे भगवान् राम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ भरत और शत्रुघ्न के दर्शन कर भक्त भावविभोर हो जाते है।
शाम को लगभग चार बजकर चालीस मिनट पर जब अस्ताचल गामी सूर्य की किरणे भरत मिलाप मैदान के एक निश्चित स्थान पर पड़ती हैं तब लगभग पांच मिनट के लिए माहौल थम सा जाता है । एक तरफ भरत और शत्रुघ्न अपने भाईयों के स्वागत के लिए जमीन पर लेट जाते है तो दूसरी तरफ राम और लक्षमण वनवास ख़त्म करके उनकी और दौड़ पड़ते हैं ।चारो भाईयों के मिलन के बाद जय जयकार शुरू हो जाती है । रवायत के अनुसार फिर चारो भाई रथ पर सवार होते हैं और यदुवंशी समुदाय के लोग उनके रथ को उठाकर चारो और घुमाते हैं ।
जैसे ही सूर्य की किरण अस्ताचल हुई वैसे ही दोनों तरफ से चारों भाई नंगे पांव दौड़ते हुए एक दूसरे के गले लग गए। चारों भाइयों के मिलन की इस अद्भुत लीला को देखकर वहां मौजूद सभी लोगों की आंखें सजल हो गयी, हर और से पुष्प वर्षा होने लगी और जय श्री राम का उद्घोष गुंजायमान हो उठा। डमरू की ध्वनि और शंखनाद से पूरा वातावरण भक्तिमय रहा। तुलसी दल की माला पहने प्रभु की मनमोहक छवि को भक्तों ने अपलक निहारा मानो स्वयं प्रभु वहां मौजूद हो और सभी उन्हें देखकर भाव विह्वल है। इस दौरान पूरा परिक्षेत्र प्रभु के जयकारों डमरु की ध्वनि से गूंजता रहा वही इस मेले की खास बात यह है कि इसमें काशी नरेश स्वयं आते हैं इस दौरान हाथी पर सवार होकर पहुंचे काशी नरेश का भव्य स्वागत किया गया उन पर पुष्प वर्षा हुई वहीं उन्होंने प्रभु पात्रों को उपहार में सोने की गिन्नीया भेंट की।
वही इस मौके पर सुरक्षा की दृष्टि से प्रशासन द्वारा व्यापक प्रबंध रहे चप्पे-चप्पे पर फोर्स तैनात रही और बैरिकेडिंग की व्यापक व्यवस्था रहे। पूरा लीला परिक्षेत्र छावनी में तब्दील रहा । चित्रकूट रामलीला समिति काशी के व्यवस्थापक मुकुंद उपाध्याय ने इस सैकड़ो वर्ष से चली आ रही परंपरा के विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दी। संपूर्ण लीला को देखने हेतु मौके पर कई विशिष्ट जन मौजूद रहे चश्मा प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हुए इस दौरान मुख्य विकास अधिकारी हिमांशु नागपाल, संकट मोचन मंदिर के महंत विश्वंभर नाथ मिश्रा प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय राय सहित कई लोग शामिल रहे।
आपको बता दे की संपूर्ण लीला प्रशासन द्वारा शांतिपूर्ण ढंग से संपन्न कराई गई हालांकि लीला शुरू होने से पहले लीला स्थल पर पशु के पहुंचने से अफरा तफरी का माहौल रहा।
पुलिस पशु को पकड़ने में जद्दो जहद करते नजर आई। लीला स्थल पर भक्तों और यादव बंधुओ पर पुलिस की ओर से लाठी चार्ज किए जाने का भी मामला सामने आया है।