केयर एण्ड कॅरियर स्कूल का त्रिदिवसीय वार्षिक खेलकूद 'पराक्रम' का इण्टर ब्रान्च प्रतियोगिता का ट्रैक इवेन्ट व फिल्ड इवेन्ट का आयोजन एम्फीथिएटर बी०एच०यू० में किया गया जिसमें मण्डुवाडीह ब्रान्च व दशाश्वमेध ब्रान्च के प्रतिभागियों ने भाग लिया।वार्षिक खेलकूद 'पराक्रम' के मुख्य अतिथि केयर एण्ड कॅरियर स्कूल समूह के चेयरमैन आनन्द किशोर मिश्रा के द्वारा खेलकूद आरम्भ करने की घोषणा के साथ खेल आरम्भ हुआ। स्कूल के छात्र-छात्राओं ने संयमित और अनुशासित परेड की तथा स्कूल फ्लेग और मुख्य अतिथि चेयरमैन आनन्द किशोर मिश्रा को सलामी दी।
इसके बाद ट्रैक इवेन्ट कक्षा 9 से 12 इंटरब्रांच बॉयज़ एण्ड गर्ल्स का खेल रिले रेस से आरम्भ हुआ।इसी क्रम में बॉयज एण्ड गर्ल्स का 100m का रेस कराया गया।इसके बाद फिल्ड इवेन्ट के अन्तर्गत कक्षा 9 से 12 इंटरब्रांच बॉयज़ एण्ड गर्ल्स का क्रमशः हैण्ड बॉल (गर्ल्स), खो-खो (गर्ल्स एवं बॉयज़), बास्केट बॉल (गर्ल्स एवं बॉयज), क्रिकेट (बॉयज), कवड्डी (गर्ल्स एवं बॉयज), शॉट-पुट (गर्ल्स एवं बॉयज), टग ऑफ वार (गर्ल्स एवं बॉयज), फूटवाल (बॉयज) और लांग जम्प (गर्ल्स एवं बॉयज) कराया गया।स्कूल समूह के चेयरमैन रो० आनन्द किशोर मिश्रा ने सभी विजयी खिलाड़ियों को बधाई दी एवं पुरस्कार से पुरस्कृत किया तथा प्रथम, द्वित्तीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त खिलाड़ियों को क्रमशः गोल्ड, सिल्वर एवं ब्रोंज मेडल से सम्मानित किया।
इस अवसर पर स्कूल समूह के चेयरमैन आनन्द किशोर मिश्रा ने अपने उद्बोधन में कहा कि जीवन का हर स्टेज ही अपने आप में एक खेल है। सफलता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने के लिए एक प्रतिद्वन्दी खेल की तरह बहुत ही सजग चौकस व सतर्कता से खेलना होता है। यह हमें अनुशासन, संयम, एकाग्रचितता अपनाने का सन्देश देता है।स्कूल की प्रधानाचार्या अरुन्धति मिश्रा ने कहा की स्पोर्टस वह एक्टिविटिज है जो मनोरंजन के साथ-साथ शारीरिक और मानसिक शक्ति को बढ़ाता है। अनुशासन बद्धता सुक्ष्म से सुक्ष्म बारिकियों को सिखाता हैं।स्कूल समूह के डायरेक्टर अंकित मिश्रा ने कहा कि स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मस्तिष्क रहता है। गेम से अनुशासन टीम भावना, एक जुटता और अंतिम क्षण तक कुछ कर गुजाने की इच्छा शक्ति का सूजन होता है। हार-जीत उतना महत्वपूर्ण नहीं होता जितना खेल में भाग लेना होता है।स्कूल समूह की डायरेक्टर केशकी मिश्रा ने कहा कि खेल को खेल भावना से खेलना चाहिए। खेल के दो पहलू हार और जीत है। पराजीत खिलाड़ी हार का हार पहनता है। ताकि विजयी खिलाड़ी जीत का हार पहन सके। पराजित खिलाड़ी ही विजयी खिलाड़ी को जीतने का अवसर देता है। अतः पराजित खिलाड़ी भी खेल का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है।इन खेलों का संयोजन दशाश्वमेध शाखा के कोऑर्डिनेटर चंचल सान्याल तथा मण्डुवाडीह शाखा के कोऑर्डिनेटर प्रीतिका शर्मा एवं सुनीता कुशवाहा ने किया।इन खेलों के सफल आयोजन मे स्कूल के खेल शिक्षकों सुमन मौर्या एवं दिनकर राय की भूमिका अहम रही। समस्त खिलाड़ियों, अध्यापकों व वालंटियर्स के अथक प्रयासों, की सराहना की तथा उन्हें इसके लिए बधाई और धन्यवाद दिया।