मैथिल समाज, उत्तर प्रदेश के तत्वावधान में काशी पत्रकार संघ के संस्थापक अध्यक्ष सम्पादकाचार्य, पं० दिनेश दत्त झा स्मृति सह सम्मान समारोह काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष डा आत्रि भारद्वाज की अध्यक्षता में पराड़कर भवन में सम्पन्न । समारोह का शुभारम्भ मुख्य अतिथि एमएलसी धर्मेंद्र सिंह और आगत अतिथियों द्वारा द्वारा पं० दिनेश दत्त झा के चित्र पर माल्यार्पण व दीप प्रज्जवलित कर किया गया।
तत्पश्चात मैथिल समाज,उत्तर प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष निरसन कुमार झा, एडवोकेट द्वारा मुख्य अतिथि एमएलसी धर्मेंद्र सिंह सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा पत्रकारिता गौरव सम्मान को मिथिला संस्कृति के प्रतीक पाग, दुपट्टा और माला और पं० दिनेश दत्त झा का चित्र देकर सम्मानित किया गया।
समारोह में पत्रकारिता के क्षेत्र उल्लेखनीय कार्य करने वालों पत्रकारों को सम्पादकाचार्य पं दिनेश दत्त झा सजग प्रहरी सम्मान में क्रमशः काशी पत्रकार संघ के महामंत्री अखिलेश मिश्रा,प्रेस क्लब के महामंत्री विनय शंकर सिंह,के टीवी न्यूज़ के प्रबन्ध निदेशक पंकज सिंह डब्ल्यू, डॉ अमर अनुपम, दैनिक जागरण के वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट नवनीत पाठक, हिन्दुस्तान अखबार के वरिष्ठ संवाददाता अरविंद यादव,अमर उजाला के फोटो जर्नलिस्ट उज्जवल गुप्ता,जनसंदेश टाईम्स के वरिष्ठ संवाददाता अश्वनी श्रीवास्तव,काशी वार्ता के संजय उपाध्याय,ज्ञानशिखा टाईम्स के अरुण सिंह,डेन काशी के दिलीप पटेल, के टीवी हरिबाबू श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया|
मुख्य अतिथि पद से बोलते हुए धर्मेंद्र सिंह ने कहा कि स्व० पं० दिनेश दत्त झा उदार, निर्भीक व स्वाभिमानी पत्रकार थे, वे अपने सिद्धान्तों से कभी समझौता नहीं करते थे। सिद्धान्तों से समझौता न करने के कारण स्व० झा को जीवन पर्यन्त संघर्ष करना पड़ा, इसी का परिणाम रहा कि स्व० झा रेलवे की नौकरी छोड़कर कलकत्ता चले गये और 'समाचार' नामक दैनिक समाचार पत्र में काम करने लगे, लेकिन कालान्तर में उन्होंने सिद्धान्तों से समझौता न कर 'समाचार' को भी छोड़कर स्वयं की पत्रिका "शान्ति" का प्रकाशन किया। स्व० झा का जीवन संघर्षों से भरा रहा।भारतीय पत्रकारिता के सूर्य थे दिनेश दत्त झा|ऐसे युग प्रवर्तक, कलम के सिपाही के जीवन से सीख लेने की जरूरत वर्तमान दौर के पत्रकारों को है।
मुख्य वक्ता पद से बोलते हुए नागरीप्रचारिणी सभा के प्रधानमंत्री व्योमेश शुक्ल ने कहा कि स्व० पं० दिनेश दत्त झा भाषा की शुद्धता के प्रबल समर्थक थे। संस्कृतनिष्ठ हिन्दी व व्याकरण के बहुत बड़े कायल झा जी छोटी से छोटी भूल पर आगबबूला हो जाते थे। प्रूफ संशोधन में मामूली त्रुटि भी उनको बहुत खटकती थी। वह भाषा में हिन्दुस्तानी भाषा के प्रबल विरोधी थे। उन्होंने 'आर्यवर्त' के माध्यम से
हिन्दुस्तानी भाषा का ऐसा विरोध किया कि बिहार सरकार को अन्ततः अपनी भाषा नीति का परित्याग करना पड़ा था। पं० दिनेश दत्त झा आधुनिक पत्रकारिता के जनक थे। वर्तनी, भाषा, व्याकरण और हिन्दी की प्रकृति के रक्षा के लिये हमेशा क्रियाशील रहते थे। अन्वेषण-बुद्धि होने के कारण हिन्दी पत्रकारिता को नयी दिशा देने में अभिरूचि रखते थे। अंग्रेजी से हिन्दी अनुवाद में भाषा की तरलता पर उनकी पैनी दृष्टि रहती थी। प्रायः कहा करते थे कि हिन्दी की प्रकृति अंग्रेजी से भिन्न है। इसलिये प्रकृति की रक्षा होनी चाहिये।
समारोह की अध्यक्षता करते हुए काशी पत्रकार संघ के महामंत्री अत्रि भारद्वाज ने कहा कि झा जी अद्भुत प्रतिभा के धनी थे। प्राथमिक विद्यालय की परीक्षा से लेकर अन्त तक वे प्रथम आते रहे। प्रधानाध्यापक की नौकरी छोड़कर सन् 1940 ई. में दैनिक 'आज' के सम्पादकीय विभाग में कभी रिपोर्टर, तो कभी डाक सम्पादक और प्रबन्ध सम्पादक के रूप में कार्य किया। झा जी विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में लेखन का भी कार्य किया करते थे। झा जी विद्वानों का खूब समादर करते थे। इस कारण इनके आवास पर साहित्यकारों, पत्रकारों का जमघट लगा रहता था। झा जी के व्यक्तित्व और कृतित्व से प्रभावित होकर तत्कालीन प्रधानमंत्री पं० जवाहर लाल नेहरू अपनी पत्नी कमला नेहरू के साथ रत्नाकर रसिक मण्डल की बैठक में झा जी के आवास पर इनसे मिलने उपस्थित हुए थे। आधुनिक पत्रकारिता के जनक थे दिनेश दत्त झा|ऐसे महान् व्यक्तित्व के धनी झा जी के जीवन से सीख लेने की जरूरत है वर्तमान दौर के युवा पत्रकारों को।
समारोह का संचालन व संयोजन एडवोकेट गौतम कुमार झा ने किया। स्वागत संस्था के अध्यक्ष एडवोकेट निरसन कुमार झा तथा धन्यवाद ज्ञापन सुधीर चौधरी और विषय स्थापना दास पुष्कर ने किया। समारोह में मुख्य रूप से नन्द कुमार सिंह,शिवेन्द्र पाठक, मनोज मिश्रा,नटवर झा,बृजेश पाण्डेय आदि लोग उपस्थित थे|