भाई बहन के प्रेम के प्रतीक और भाई की लंबी उम्र की कामना के साथ बहनों ने पूरे श्रद्धा भाव के साथ भाई दूज का पर्व मनाया नगर के विभिन्न स्थानों पर गोवर्धन की आकृति उकेर कर विधि विधान से पूजन अर्चन किया। परंपरागत रूप से महिलाओं ने कथा सुनी और अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की।
परंपरा के अनुसार बहनों ने पहले अपने भाइयों को प्रतीकात्मक रूप से मृत्यु का श्राप दिया और फिर अपनी जीभ पर कांटा चुभाकर इस श्राप का प्रायश्चित किया। इसके बाद गोबर के प्रतीकात्मक गोधन को कूटते हुए अपने भाइयों की सुरक्षा की कामना की। इसके उपरांत भाइयों ने अपनी सामर्थ्य अनुसार बहनों को उपहार भेंट किए। कथा के अनुसार एक बार यम और यमनी संसार में ऐसे व्यक्ति के खोज में विचरण कर रहे थे, जिसकी बहन उन्हें कभी श्रापित और अपशब्द नहीं कहा हो। ऐसे भाई को वो अपने साथ यमलोक ले जाना चाहते थे।
विचरण के दौरान उन्हें एक ऐसा व्यक्ति भी मिला, लेकिन जब इसकी जानकारी उसके बहन को हुई तो उसने अपने भाई की रक्षा के लिए उसे श्राप दिया और अपशब्द भी कहे। तब यमराज और यमनी उसके भाई के प्राण नहीं हर सके। बस तभी से यह परम्परा चली आ रही है।उदयातिथि के आधार पर भाई दूज का त्योहार 3 नवंबर को मनाया गया।इसी कड़ी में रविंद्रपुरी घसियारी टोला निवासिनी पार्वती देवी से बात करने पर उन्होंने बताया कि भाई दूज का त्योहार आज मनाया जा रहा है। पंचांग के अनुसार कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भाई दूज मनाई जाती है। बहनें इस दिन भाई को तिलक कर उसके अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता की कामना करती हैं, आज हम लोग भाई को श्राप भी देते है जिसके बाद हम लोग अपने जीभ पर कांटे चुभोते है और भाई को लंबी उम्र का आशीर्वाद देते हैं। वही संवाददाता रिंकू श्रीवास्तव के घर पर भी भाई दूज और भगवान चित्रगुप्त का पूजन और अनुष्ठान पूरे विधि विधान से मनाया गया विवेकानगर नसीरपुर की सांभवी पाण्डेय से बात करने पर उन्होंने बताया कि यह हम लोगों के लिए बहुत ही पवित्र त्यौहार है इस पूजा के माध्यम से हम लोग अपने भाइयों के लंबी आयु की कामना करते हैं आज के दिन हम सभी बहने उपवास रखते हैं भाई को तिलक कर भोजन करने के उपरांत हम लोग अन्न और जल ग्रहण करते हैं । कथा व्यास पंडित प्रवीण पाण्डेय जी महाराज के अनुसार 3 नवंबर को सूर्योदय काल से रात 10:05 बजे तक द्वितीया तिथि उपस्थिति रहेगी। इस दिन सभी शुभ चौघड़िया मुहूर्त टीका करने के लिए श्रेष्ठ होते हैं। बहनें इस दिन भाई को तिलक कर उसके अच्छे स्वास्थ्य, दीर्घायु और सफलता की कामना करती हैं। पंडित प्रवीण पाण्डेय महाराज ने भी इस संदर्भ में जानकारी दी।