वाराणसी के बाबा काल भैरव मंदिर में सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर ममता राय का विवादित केक काटने का वीडियो वायरल
वाराणसी के बाबा काल भैरव मंदिर, जिसे काशी के कोतवाल के रूप में जाना जाता है, वहां की पवित्रता और परंपराओं को ठेस पहुंचाने वाला एक वीडियो इन दिनों सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में ममता राय, जो एक सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर हैं और अपने इंस्टाग्राम पर एक मिलियन से अधिक फॉलोअर्स रखती हैं, मंदिर के गर्भगृह में केक काटते हुए नजर आ रही हैं।
आम श्रद्धालुओं के लिए नियम और इनफ्लुएंसर के लिए विशेषाधिकार
मंदिर प्रशासन द्वारा आम श्रद्धालुओं को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाती। उन्हें दूर से ही कुछ सेकंड के लिए बाबा काल भैरव के दर्शन करने का मौका मिलता है। इसके विपरीत, सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर और अन्य प्रभावशाली लोग, कथित रूप से पैसे देकर न केवल गर्भगृह में प्रवेश कर रहे हैं, बल्कि वहां मोबाइल फोन लेकर वीडियो और रील भी बना रहे हैं।
मंदिर प्रशासन और पंडा समाज पर गंभीर आरोप
सूत्रों के अनुसार, कुछ पंडा और मंदिर से जुड़े लोग पैसे लेकर इनफ्लुएंसर और अन्य लोगों को गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति दे रहे हैं। इसने मंदिर की परंपराओं और श्रद्धालुओं की आस्था को गहरी चोट पहुंचाई है।
काशी की जनता में आक्रोश
काशीवासियों ने ममता राय की इस हरकत पर कड़ा विरोध जताया है। लोगों का कहना है कि धार्मिक स्थलों को सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए इस्तेमाल करना और गर्भगृह में इस प्रकार की गतिविधियां करना आस्था का अपमान है। कई धार्मिक संगठनों ने मंदिर प्रशासन से इस मामले में कठोर कार्रवाई की मांग की है।
पुलिस और प्रशासन की लापरवाही
ममता राय जिस गाड़ी से चलती हैं, उसके ब्लैक शीशे पूरी तरह नियमों का उल्लंघन करते हैं। बावजूद इसके, स्थानीय पुलिस ने अब तक इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं की है। जनता और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रशासन की इस लापरवाही से ऐसे मामलों को और बढ़ावा मिल सकता है।
काशी की बेटी होने का दावा और आस्था का अपमान
ममता राय खुद को "काशी की बेटी" बताती हैं, लेकिन उनके इस कृत्य ने काशी की पवित्रता को धूमिल कर दिया है। जनता का कहना है कि काशी की पहचान उसकी धार्मिक और सांस्कृतिक परंपराओं में है, न कि ऐसी दिखावे की हरकतों में।
मंदिर प्रशासन को सख्त कदम उठाने की जरूरत
यह घटना मंदिर प्रशासन के लिए एक गंभीर चेतावनी है। धार्मिक स्थलों की पवित्रता बनाए रखने और श्रद्धालुओं की आस्था की रक्षा के लिए प्रशासन को यह सुनिश्चित करना होगा कि भविष्य में ऐसी घटनाएं न हों। गर्भगृह में प्रवेश और मोबाइल फोन के उपयोग पर सख्त प्रतिबंध लगाने के साथ-साथ दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।
समाज के लिए संदेश
यह घटना यह दिखाती है कि धार्मिक स्थलों की पवित्रता का सम्मान और उनके नियमों का पालन करना हम सभी की जिम्मेदारी है। सोशल मीडिया की प्रसिद्धि पाने के चक्कर में परंपराओं का अपमान न हो, यह सुनिश्चित करना हम सबका कर्तव्य है।