शास्त्रार्थ महाविद्यालय में आयोजित ज्योतिष ज्ञान शिविर का हुआ समापन

धर्म,कर्म,पाप व पुण्य आदि की धारणाएं व्यक्तिगत विश्वास पर आधारित है किंतु वैज्ञानिक व आध्यात्मिक अवधारणा में ज्योतिष को सर्वोपरि विज्ञान के रूप में माना जाता है। ज्योतिष शास्त्र को मानने या न मानने का निर्णय व्यक्तिगत विश्वास और अनुभव पर आधारित होता है। राष्ट्रीय सुरक्षा की दृष्टि से भी इस पर शोध होना चाहिए। उक्त बातें दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में एक माह पर्यंत चले ज्योतिष ज्ञान शिविर के समापन अवसर पर प्रशिक्षक के रूप में ज्योतिष शास्त्र का पाठ बटुकों को पढ़ाने वाले ज्योतिर्विद आचार्य संजय  उपाध्याय ने कही। इन्होनें कहा कि देश व राष्ट्रीय सुरक्षा में भी इस विज्ञान का सहारा लेना चाहिए। इसके लिए हमारा प्रयास जारी है। 

मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के अपर कार्यपालक अधिकारी निखिलेश मिश्र ने अपने संबोधन में बताया कि ज्योतिष शास्त्र हमें भविष्य में होने वाली शुभाशुभ घटनाओं के लिए तैयार कर सकता है। कार्यक्रम के प्रारंभ में राष्ट्रपति पुरस्कृत पूर्व प्राचार्य डॉ. गणेश दत्त शास्त्री,वरिष्ठ अधिवक्ता आनंद नारायण मिश्र व केंद्रीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित कमलाकांत उपाध्याय ने माँ वाग्देवी की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन किया। इसके बाद संस्था के बटुकों ने सामूहिक रूप से मंगलाचरण का पाठ किया। स्वागत करते हुए संस्था के प्राचार्य डॉ.पवन कुमार शुक्ल ने बतलाया कि पिछले एक माह से यह शिविर निःशुल्क रूप से चल रहा था। लगभग 60 से ज्यादा बच्चों ने इसमें प्रतिभाग कर पंचांग व कुंडली निर्माण की बारीकियों को सीखा। आज इन प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र भी वितरित किया गया है। उपस्थित अन्य प्रमुख लोगों में ज्योतिषाचार्य डॉ.आमोद दत्त शास्त्री,कोलकाता के ज्योतिष विद्वान सुत्तिमय दास डॉ.देवदूत,डॉ.अशोक पाण्डेय आदि ने भी अपने विचार प्रस्तुत किए। अंत में मुख्य अतिथि अपर कार्यपालक अधिकारी निखिलेश मिश्र द्वारा प्रतिभागियों को प्रमाण पत्र प्रदान किया गया।









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