नववर्ष पर काशी में श्रद्धालुओं और पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ रही है। इसे ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और नगर निगम ने यात्रियों की सुविधा के लिए विशेष तैयारी की है। एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने सभी होटल मालिकों और ट्रैफिक विभाग को निर्देश दिए हैं कि श्रद्धालुओं से अधिक शुल्क वसूलने की शिकायतें नहीं आनी चाहिए। इसके अलावा, नगर निगम ने सफाई व्यवस्था और सार्वजनिक शौचालयों के शुल्क को भी नियंत्रित करने के आदेश दिए हैं।
गोदौलिया पर शौचालय शुल्क में मनमानी
हालांकि प्रशासन के दावे हकीकत से मेल नहीं खाते। गोदौलिया स्थित सुलभ शौचालय पर निर्धारित ₹5 शुल्क के बजाय ₹10 वसूले जा रहे हैं। यह मामला न केवल प्रशासन के आदेशों की अवहेलना करता है, बल्कि सैलानियों और स्थानीय लोगों में असंतोष भी पैदा कर रहा है।
सैलानियों ने इस व्यवस्था पर नाराजगी व्यक्त की है। उनका कहना है कि देश के अन्य हिस्सों में सुलभ शौचालयों का शुल्क ₹5 है, लेकिन काशी में ₹10 वसूले जा रहे हैं। एक पर्यटक ने कहा, "यह प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र में हो रहा है, जहां हमें विशेष सुविधाएं मिलनी चाहिए। लेकिन यहां तो पैसे देकर भी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध नहीं हैं।
श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों ने शौचालयों की सफाई व्यवस्था को भी असंतोषजनक बताया। कई जगहों पर गंदगी और दुर्व्यवहार की शिकायतें सामने आई हैं। गोदौलिया के सुलभ शौचालय केयरटेकर का रवैया भी यात्रियों को खिन्न कर रहा है। एक स्थानीय निवासी, मुन्ना लाल यादव ने कहा, "स्मार्ट सिटी के तहत संचालित इन शौचालयों का उद्देश्य बेहतर सेवा देना है, लेकिन इसके विपरीत यहां लोगों से अधिक पैसे लिए जा रहे हैं और सफाई का स्तर भी बेहद खराब है।"
स्थानीय लोगों ने सवाल उठाये हैं कि प्रशासन और स्मार्ट सिटी परियोजना इस समस्या का समाधान कब और कैसे करेंगे। क्या मनमानी करने वाले शौचालय कर्मियों पर सख्त कार्रवाई होगी, या यह मामला समय के साथ टल जाएगा? आने वाले दिनों में प्रशासन की प्रतिक्रिया इस मुद्दे पर स्पष्ट करेगी कि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को कितनी राहत मिलती है?