मसान होली का पर्व रंगभरी एकादशी के दूसरे दिन मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चिता की भस्म से होली खेलने पर सुख-समृद्धि और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह होली खासतौर पर हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों के द्वारा खेली जाती है।
मसान की होली के मुख्य आयोजक विक्रम चौधरी ने बताया कि सनातन धर्म में होली के त्योहार का बहुत महत्व है। होली के दिन लोगों में बहुत उत्साह देखने को मिलता है। इस दिन लोग बहुत एक-दूसरे को रंग लगाकर खुशी मनाते हैं। उत्तर प्रदेश के बनारस में होली का पर्व एक विशेष तरीके से मनाया जाता है। यह होली खासतौर पर मणिकर्णिका घाट और हरिश्चंद्र घाट जैसे श्मशान स्थलों पर मनाई जाती है। जिसे मसाने की होली या मसान होली कहा जाता है। इस दिन साधु-संत और शिव जी के भक्त चिता के भस्म से होली खेलते हैं। माना जाता है कि चिता की राख से होली खेलने से शिव जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। तो आइए जानते हैं कि कब मनाई जाएगी मसान होली और इसके धार्मिक महत्व के बारे में वहीं डोमराजा परिवार के विक्रम चौधरी गोरे से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस साल मसान होली 10 मार्च, को मनाई जा रही है। यह होली उत्तर प्रदेश के बनारस में साधु-संतों और शिव भक्तों के द्वारा चिता की भस्म से खेली जाती है। मसान होली का पर्व रंगभरी एकादशी के दिन हरिश्चंद्र घाट पर मनाई जाती है। मान्यताओं के अनुसार, इस दिन चिता की भस्म से होली खेलने पर सुख-समृद्धि और शिवजी का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह होली खासतौर पर हरिश्चंद्र और मणिकर्णिका घाट पर शिव भक्तों के द्वारा खेली गई