बुधवार को अक्षय तृतीया के पावन पर्व पर आस्थावानो की भीड़ काशी के गंगा घाट पर रही। लोगो ने पतित पावनी मां गंगा के जल में डुबकी लगाई। और विधि विधान से पूजन किया । इसके बाद मान्यतानुसार ऋतु फल घड़ा पंखा ब्राह्मण को दान किया गया। पुराणों में वैशाख माह की अक्षय तृतीया को अत्यंत शुभ और पुण्यदायक दिन माना गया है। यह तिथि ऐसी है, जिसका हर कार्य शुभफलदायी होता है। शास्त्रों में वर्णित है कि अक्षय तृतीया के दिन किया गया पुण्य कार्य, दान, जप, तप और तीर्थ स्नान का फल कभी क्षय नहीं होता, अर्थात यह फल अक्षय रहता है। इस दिन को स्वयंसिद्ध मुहूर्त भी कहा जाता है, जिसके लिए किसी विशेष मुहूर्त की प्रतीक्षा नहीं करनी पड़ती।
अक्षय तृतीया को भगवान विष्णु, मां लक्ष्मी और परशुराम जी का विशेष आशीर्वाद प्राप्त करने का दिन माना गया है। इस अवसर पर दान का विशेष महत्व बताया गया है। धर्मग्रंथों में उल्लेख है कि अक्षय तृतीया के दिन अलग-अलग वस्तुओं का दान करने से मनुष्य को अलग-अलग प्रकार का पुण्यफल प्राप्त होता है और उसका जीवन सुख, समृद्धि और मोक्ष की ओर अग्रसर होता है।
इसी कड़ी में लोगों ने अक्षय तृतीया के दिन स्वर्ण और रजत की खरीदारी की । अक्षय तृतीया पर्व पर आभूषण की दुकान पर स्वर्ण व रजत के समानों के साथ अयोध्या राम मन्दिर व राम दरबार, राधा कृष्णा की प्रतिमा भी लोगो के आकर्षण का केंद्र रही। अक्षय तृतीया के दिन सोना-चांदी खरीदना शुभ माना जाता है जो समृद्धि का प्रतीक है।
सोना-चांदी को धन-धान्य की देवी लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है, इसलिए इस दिन इनकी खरीदारी को स्थायी धन और सौभाग्य की प्राप्ति के रूप में देखा जाता है। हिंदू धर्म में पीली धातु सोने को सबसे पवित्र और अक्षय माना गया है। इसे देवताओं की धातु माना जाता है इसलिए अक्षय तृतीया पर सोने की खरीदारी की परंपरा है। पद्म पुराण के अनुसार इस तिथि पर धन के देवता कुबेर को देवताओं का खजांची बनाया गया था। इस तिथि पर लक्ष्मी पूजा भी होती है जिससे जीवन में स्थायी समृद्धि आती है।