बरेका में 42वीं एम.एस.जी. बैठक एवं कैब प्रतियोगिता का हुआ आयोजन

रेलवे बोर्ड के दिशा-निर्देशों के तहत, बनारस रेल इंजन कारखाना (बरेका) में दिनांक 23 एवं 24 मई, 2025 को 42वीं एम.एस.जी. (मेंटिनेंस सर्विस ग्रुप) की बैठक एवं लोको कैब प्रतियोगिता का आयोजन किया जा रहा है। इस दो दिवसीय आयोजन का उद्देश्य विद्युत रेल इंजनों के रखरखाव, उनसे जुड़ी तकनीकी समस्याओं के समाधान, और लोको कैब की सुविधाओं को आधुनिक बनाना है।

बैठक की शुरुआत एवं प्रमुख बिंदु:


आज दिनांक 23 मई, 2025 को बरेका प्रशासन भवन स्थित कीर्ति कक्ष में चार सत्रों में 42वीं एम.एस.जी. बैठक का शुभारंभ हुआ। इस अवसर पर बरेका के महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने रेलवे बोर्ड के अपर सदस्य (कर्षण) श्री वी.पी. सिंह का पौधा भेंट कर स्वागत किया, जो पर्यावरण संरक्षण के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक भी है। बैठक में विद्युत लोकोमोटिव में उत्पन्न होने वाली तकनीकी समस्याएं और उपयुक्त मोडिफिकेशन पर गहन चर्चा की गई।


वहीं सदस्य कर्षण एवं रोलिंग स्टॉक, रेलवे बोर्ड श्री ब्रज मोहन अग्रवाल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सभी प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए कहा कि,“लोको के रखरखाव में आने वाली कठिनाइयों को कम करते हुए उसकी विश्वसनीयता और दक्षता को बढ़ाना आवश्यक है।”


बैठक को संबोधित करते हुए बरेका महाप्रबंधक श्री नरेश पाल सिंह ने कहा कि यह तकनीकी बैठक भारतीय रेलवे के उस निरंतर प्रयास का हिस्सा है, जिसके माध्यम से हम न केवल लोको के रखरखाव को अधिक दक्ष और व्यावहारिक बना रहे हैं, बल्कि संचालन में आने वाली व्यावसायिक एवं तकनीकी जटिलताओं को भी साझा मंच पर सुलझाने का प्रयास कर रहे हैं।आज भारतीय रेलवे, आत्मनिर्भर भारत के विज़न के अनुरूप विश्वस्तरीय लोको निर्माण की दिशा में तेजी से अग्रसर है। इस दिशा में बरेका की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है और हम अपने लोको को केवल मजबूत नहीं, बल्कि स्मार्ट, सुरक्षित और पर्यावरण-अनुकूल बनाने के लिए निरंतर नवाचार कर रहे हैं।इस महत्वपूर्ण बैठक में ई.डी./आर.एस. श्री वेंकट सुब्रमण्यम, निदेशक, रेलवे बोर्ड श्री विकेश आनंद, आर.डी.एस.ओ., क्रिस सहित देशभर के 17 क्षेत्रीय रेलवे, उत्पादन इकाइयों से बीएलडबल्यू, सीएलडबल्यू, पीएलडबल्यू  एवं अनुसंधान संस्थानों के वरिष्ठ अधिकारियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई।


यह आयोजन न केवल भारतीय रेलवे के तकनीकी विकास की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि “विश्वस्तरीय लोको – आत्मनिर्भर भारत” के संकल्प की एक महत्वपूर्ण कड़ी भी है।

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