नवरात्र के तीसरे दिन चंद्रघंटा माता के दर्शन का विधान है | वाराणसी में नवरात्र के दर्शन के क्रम में भक्तो ने माता चंद्रघंटा का दर्शन पूजन किया | इस अवसर पर माता के दरवार में भक्तो की भारी भीड़ रही | नवरात्र के अवसर पर माता का आकर्षक श्रृंगार किया गया था |माता के जयकारे से मंदिर प्रांगण गुंजायमान रहा | माता चन्द्र घंटा के स्वरूप की व्याख्या करे तो चंद्रमा शांति का प्रतिक है और घंटा नाद का | नाद के साथ शांति का सन्देश देने वाली माता ही चंद्रघंटा है | असुरासुर संग्राम में देवी ने इसी घंटे की नाद से अनेकानेक असुरो का दमन किया | माता के तेज और पुन्ज्य प्रकाश के साथ नाद के स्वर ने असुरो का संघार कर दिया | माता का दर्शन करने आये भक्तो ने माता से शांति के लिए प्रार्थना किया | चंद्रघंटा माता मंदिर के पुजारी ने बताया की माता हर प्राणी के कंठ में विराजमान रहती है | माता की कृपा दृष्टि सभी पर रहती है माँ अपने सभी भक्तो की मनोकामना की पूर्ति करती है |
इसी कड़ी मे माँ के गौरी स्वरुप के दर्शन पूजन के क्रम मे नवरात्र की तृतीय तिथि पर माँ सौभाग्य गौरी का दर्शन पूजन करने की मान्यता है।माता सौभाग्य गौरी महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान देती हैं। वहीं कन्याओं के विवाह में आने वाली अड़चनें भी दूर हो जाती हैं। मंदिर के महंत सिद्धार्थ दुबे ने बताया कि नवरात्र मे नौ गौरी के दर्शन का विशेष फल मिलता है। नवरात्र के तृतीय दिन माता सौभाग्य गौरी के दर्शन का विधान है। इनके दर्शन से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। वहीं लंबे सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है। वही इस अवसर पर पूरा मन्दिर परिसर जय जय कार से गूंजता रहा श्रदालु हाथो में माला फूल मिष्ठान लेकर मन्दिर परिसर में पहुँचे और मत्था टेका तथा माता से सुख समृद्धि की कामना की।