भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी को काशी मे प्रथम पूजनीय भगवान गणेश का विशेष पूजन अर्चन किया गया । इस चतुर्थी को बहुला चतुर्थी या बहुला चौथ के नाम से जाना जाता है। इस दिन गणेशजी की पूजा के साथ-साथ श्री कृष्ण और गायों का पूजन किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर पूजा करने से संतान की प्राप्ति होती है। साथ ही साधक को बल, बुद्धि, विद्या और धन-धान्य का आशीर्वाद मिलता है। इस दिन संकष्टी चतुर्थी के साथ-साथ बहुला चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है। बाबा विश्वनाथ की नगरी में संकष्टी चर्तुथी पर भगवान गणेश की आराधना की गयी।
अपनी संतान की सलामती व खुशहाल जीवन के लिए बहुला गणेश चतुर्थी व्रत रखकर महिलाएं लोहटिया स्थित बड़ा गणेश दरबार सहित अन्य गणेश मंदिरों में तल्ख धूप और उमस के बावजूद पूरे श्रद्धा के साथ दर्शन पूजन करते नजर आई। बड़ा गणेश मंदिर में अलसुबह से ही श्रद्धालुओं और व्रती महिलाओं की भीड़ दर्शन पूजन के लिए पहुंचने लगी। मान्यता है कि शाम को चंद्रोदय के बाद व्रती महिलाएं श्रीगणेश, शिव-पार्वती की पूजा कर खीर और लड्डू का भोग लगाती है। उसके बाद अर्घ्य देकर संतान के लिए दीर्घ जीवन की कामना कर व्रत का समापन करती है। वही इस दौरान बड़ा गणेश मंदिर के महंत संजय दुबे ने संकष्टी चतुर्थी के व्रत और पूजन के महत्व के बारे में विस्तार से जानकारी दी।