सोनारपुरा स्थित चिंतामणि गणेश जी महाराज का बर्फ, जलविहार एवं हरियाली श्रृंगार किया गया। आदिदेव भोले शंकर की नगरी के केदार खंड में चिंतामणि गणेश स्थित है। यहां प्रथमेश का विग्रह स्वयंभू है। 56 विनायक में इन चिंतामणि गणेश का स्थान। मान्यता है कि चिंतामणि गणेश श्री काशी विश्वनाथ तक की चिंता हरते हैं। ऐसे में यह वर्ष पर्यंत भक्तों की भारी भीड़ जमा होती है। यह इकलौता मंदिर है जहां गणेश जी सपरिवार निवास करते हैं। मंदिर के महंत बताते हैं कि यह इकलौता मंदिर है जहां गणेश जी सपरिवार निवास करते हैं। ऊपर शुभ-लाभ तो नीचे ऋद्धि-सिद्धि हैं। अष्टभुजा का विग्रह भी है। सबसे महत्वपूर्ण कि यह मंदिर और गणेश जी की प्रतिमा दक्षिण मुखी है।
ऐसे में इन गणेश जी का महत्व कहीं ज्यादा बढ़ जाती है। बताया कि मान्यता है कि जब कोई दुःख, दारिद्र से त्रस्त हो जाता है, चिंताओं में घिरा रहता है तो चिंतामणि गणेश जी की 40 दिन तक लगातार पूजा करने से उसकी सारी चिंता दूर होती है। सारे कष्ट दूर होते हैं। यश, कीर्ति, धन की प्राप्ति होती है। महंत जी ने बताया कि गणेश जी की आराधना के लिए दुर्वा, धान का लावा और बेसन के लड्डू अर्पित कर पूजा करनी चाहिए। बताया कि 40 दिन तक लगातार पूजन-अर्चन से मन्नत पूरी होने पर नारियल चढ़ाना चाहिए।
उन्होंने बताया कि चिंतामणि गणेश की आराधना करने से वह प्रसन्न हो कर भक्त को सारी चिंताओं से मुक्त करते है, यही वजह है कि इनका नाम चिंतामणि गणेश पड़ा। गणेश जी को मणि रूप में भी पूजा जाता है। बताया कि काशी खंड में चिंतामणि गणेश जी का नाम लंबोदर विनायक है तो केदार खंड में चिंतामणि नाम है। वही हरियाली श्रृंगार महोत्सव के अवसर पर बड़ी संख्या ने भक्तो ने बाबा का दर्शन पूजन किया। इस अवसर पर भजन संध्या का आयोजन हुआ जहाँ कलाकारों ने अपनी प्रस्तुतियो के माध्यम से प्रभु का वंदन किया और प्रभु की महिमा का बखान किया।
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