विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पर इंटरनेट एडिक्शन को लेकर हुई चर्चा

विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस पूरी दुनिया में आज मनाया जा रहा है इस वर्ष विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस का थीम मानसिक स्वास्थ्य सार्वभौमिक मानवाधिकार है जिसका अर्थ है हर व्यक्ति को अपने को मानसिक रूप से स्वस्थ रखने का अधिकार है। इस संदर्भ में बीएचयू के वरिष्ठ मनोचिकित्सक मनोज तिवारी ने कहा कि आधुनिक समय में इंटरनेट का अधिक उपयोग मानसिक स्वास्थ्य को सबसे अधिक चुनौती दे रहा है। इंटरनेट एडिक्शन होने पर व्यक्ति बिना किसी कार्य के भी इंटरनेट पर समय व्यतीत करता रहता है और यदि उसे इंटरनेट से वंचित कर दिया जाए तो उसमें घबराहट, बेचैनी, चिड़चिड़ापन, तनाव, बिना कारण क्रोध करना इत्यादि लक्षण दिखाई पड़ते हैं।  

उन्होंने इंटरनेट एडिक्शन के कई दुष्प्रभाव बताएं जिसमें मुख्य रूप से हाथ दर्द, सिर दर्द, आंखों में दर्द, गर्दन एवं पीठ में दर्द, अनियमित दिनचर्या, नींद में गड़बड़ी, भूख न लगना, रोग प्रतिरोधक क्षमता में कमी, डिप्रेशन, एकाग्रता में कमी व अन्य बातें शामिल रही। उन्होंने इसके बचाव के लिए भी जानकारी दी जिसमें उन्होंने बताया कि दिनचर्या को नियमित रखें,  मोबाइल हाथ एवं पाकेट में न रखें, सोते समय मोबाइल बिस्तर से दूर रखें, रात में खाना खाने के बाद मोबाइल न चलाएं, परिवार के साथ गुणवत्ता पूर्ण समय व्यतीत करें।उपरोक्त बचाव के उपायों के अपनाने के बाद भी यदि व्यक्ति इंटरनेट एडिक्शन से छुटकारा नहीं पा रहा है तो उसे प्रशिक्षित मनोवैज्ञानिक एवं मनोचिकित्सक से सहायता लेनी चाहिए।

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