देश के कई वरिष्ठ पत्रकारों और इंडिया गठबंधन से जुड़े नेताओ के खिलाफ जांच एजेंसियों की कार्रवाई के विरोध में लहुराबीर आजाद पार्क से मलदहिया स्थित सरदार पटेल की मूर्ति तक प्रतिरोध मार्च निकालकर विरोध जताया गया। बनारस के नागरिक समाज की पहल पर इंडिया गठबंधन से जुड़े लगभग सभी राजनैतिक दलों समेत जनसंगठनो के लोग बनारस में लामबंद हुए।अरविंद सिंह (पूर्व एम एल सी) ने कहा कि भारत में आज प्रजातंत्र की हत्या हो रही है। जैसे-जैसे 2024 आ रहा है भाजपा के नेता डर रहे हैं। जो स्वतंत्र और निडर पत्रकार हैं, उनके खिलाफ दमनात्मक कार्रवाई की जा रही है। यह एक तरीके से अघोषित आपातकाल जैसा है।
कांग्रेस प्रवक्ता संजीव सिंह ने कहा कि गजानन माधव मुक्तिबोध ने लिखा था- अब अभिव्यक्ति के सारे खतरे उठाने ही होंगे, तोड़ने होंगे मठ और गढ़ सब। तो अभिव्यक्ति के क्या खतरे उठाने होंगे, यह बीजेपी सरकार के कुकृत्यों से सीखना होगा हमे। न्यूज-क्लिक से जुड़े कई पत्रकारों, लेखकों की गिरफ्तारी, सीताराम येचुरी जी के यंहा छापे और सांसद संजय सिंह जी की गिरफ्तारी ने मोदी सरकार की नीयत को साफ बता दिया है। प्रतिरोध मार्च में अभिव्यक्ति के आज़ादी के समर्थन में नारे लगाए गए। मीडिया से जुड़े लोगों से मुखातिब होते हुए समाजवादी चिंतक कुंवर सुरेश सिंह ने कहा कि पत्रकारों को नागरिकों के साथ कंधा से कंधा मिलाकर मोदी सरकार द्वारा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर लगातार किये जा रहे हमलों के खिलाफ राष्ट्रव्यापी आवाज बुलंद करनी होगी। इलेक्टोरल बॉन्ड के सहारे पूंजीपतियों से पैसे लिए जा रहे है। पीएम केयर फंड का संग्रह सार्वजनिक नही है। सरकार के काम और बीजेपी का प्रचार कार्यक्रम आपस मे गड्डमड्ड हो गया है। पूंजीपतियों को संरक्षण देने के काम मे मीडिया जगत के ये लोग लगातार सवाल उठा रहे हैं। जनता को जागरूक कर रहे हैं। और मोदी जी की सरकार जनता के जागरूक होने से ही डर रही है। इसीलिए ये सारी कवायद है।
सपा नेता अतहर जमाल लारी ने कहा- देश की जनता डेंगू वायरल बुखार से तप रही है। अस्पतालों में हाहाकार मचा हुआ है। मोदी सरकार अपना पीठ ठोंक रही है। पढाई लिखाई को आरएसएस के जिम्मे देकर संस्कृति सभ्यता का मंत्र पढा जा रहा है स्कूल कॉलेजों में। रोजगार के आंकड़े धराशाई है। स्किल इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का नारा अब सुनाई नही दे रहा है। पढाई दवाई कमाई सब चौपट है। इन सबके बीच अडाणी जी को कमाने की खुली छूट दिए रहना है।प्रतिवाद मार्च में प्रमुख रूप से डा.ए.एन सिंह,अब्दुल्लाह खान, राकेश पाठक, प्रहलाद तिवारी, डा. रवीन्द्रनाथ द्विवेदी, वरूण सिंह बिसेन, दयाशंकर पाण्डेय, मो. सईद, नन्हे खान, निर्भय यादव, विश्वजीत सिंह बृजमोहन, धनंजय त्रिपाठी, प्रतीक शर्मा,डा. आरिफ, पारस यादव, आकिब खान, विनोद जायसवाल, बबलू मौर्य, अमीन भाई ,शैलेश श्रीवास्तव,आफताब आलम के साथ सैकड़ो की संख्या में लोग शामिल रहे।