बनारस रंग महोत्सव के तीसरे दिन कजरी कठपुतली नृत्य की हुई प्रस्तुति

बनारस रंग मोहत्सव की तृतीय संध्या की शुरुआत शोभनाथ द्वारा कठपुतली के माध्यम से कजरी नृत्य , कजरी गायन तत्पश्चात कठपुतली के माध्यम से मुंशी प्रेमचंद्र द्वारा रचित पंच परमेश्वर कहानी दिखाई गई । पंच परमेश्वर. उनके द्वारा लिखी पहली कहानी है । इस कहानी में दो मित्रों जुम्मन शेख और अलगू चौधरी को मित्रता और शत्रुता की पृष्ठभूमि को आधार बनाकर पौराणिक सामाजिक न्याय व्यवस्था पंचैती में पंच के पद की मार्यदा, गरिमा और प्रतिष्ठा का जीवंत और नैसर्गिक सिद्ध करने का प्रयास किया गया है। इस कठपुतली द्वारा दिखाई गई कहानी से कलाकारों ने न्यायाधीश या पांचों के अंदर न्याय करने की शक्ति को ईश्वरीय बताकर न्याय की महत्ता लोगो को समझाई और सच्चाई के रास्ते पर चलने की सीख देता है । 

जिसके बाद राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सिक्किम रंगमंडल द्वारा "भासभरतम्" नाटक की प्रस्तुति हुई । जिसमे चरण और भट्ट के माध्यम से नाटक की कथावस्तु को प्रेक्षकों तक पहुंचाया गया । निर्देशक ने नाटक की कथा को कथावाचकों के माध्यम से बीच में ही रुकवाकर महाकवि भास की लेखन शैली को वेद व्यास के मूल महाभारत की कथा को अपने अनुसार नाटक में परिवर्तित कर देने पर सवाल खड़े किए । क्युकी मूल नाटक में भास ने द्रोणाचार्य द्वारा मांगे गए गुरुदक्षिणा को शकुनी के प्रयासों को विफल करते हुए दुर्योधन द्वारा पांडवो को उनका राज्य लौटा देना दर्शाया है । राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय सिक्किम रंगमंडल विशेष रूप से बनारस रंग महोत्सव में अपनी प्रस्तुति देने के लिए सिक्किम से आई थी। महोत्सव निदेशक गुंजन शुक्ला ने रंगमंडल का स्वागत पुष्पगुच्छ देकर किया । इस मौके पर भारत के प्रख्यात रंगकर्मी संजय उपाध्याय , प्रवीण कुमार तथा संस्कार भारती काशी प्रांत के संगठन मंत्री श्री दीपक शर्मा मौजूद थे ।

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