पौराणिक परंपरा के अनुसार काशी की पंचकोशी यात्रा संपन्न, पांचो पड़ाव पर सुरक्षा के रहे व्यापक प्रबंध

प्रति वर्ष की भाति इस वर्ष भी महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व पड़ने वाले पंचकोसी यात्रा मणिकर्णिका घाट स्थित कुण्ड पर पहुंच कर दान व स्नान कर आगे की ओर बढ़े भारी भीड़ को देखते हुए पुलिस बल महिला पुलिस एन डी,आर,एफ की टीम लगाई गई दूर दूर से इस यात्रा करने वालो का हुजूम हर हर महादेव के उद्घोष के साथ कुण्ड पर पहुंच कर स्नान दान कर माता गंगा का पूजन अर्चन किया कुण्ड के महंत ज्येंद्रनाथ दुबे ने बताया की बड़ी पुरानी यह परम्परा है इससे परिवार में सुख समृद्धि बनी रहती है वही उपस्थित ए,सी,पी,दशाश्वमेध प्रज्ञा पाठक ने बताया की भारी भीड़ को देखते हुए सारी व्यवस्थाएं कर दी गई है किसी भी श्रद्धालु को किसी प्रकार की दिक्कत नही आयेगी हर मोड़ पर पुलिस तैनात है।काशी में पंचकोशी यात्रा 25 कोस यानी 84 किलोमीटर की दूरी तय करती है।

इस यात्रा में बीच में पड़ने वाले पांच पड़ावों पर रात्रि विश्राम करने की परंपरा है. इन पांच पड़ावों पर ही विश्राम के साथ यात्रा पूरी होती है महाशिवरात्रि पर शिवशंकर के जयकारे से काशी गूंज उठी पंच कोशी यात्रा मे पांच पड़ावों की परंपरा है इस पवित्र यात्रा मे मणिकर्णिका घाट पर युवाओं के हुजूम के कारण हर-हर महादेव, बोल बम और जय शंकर का घोष हर ओर गुंजायमान रहा। इस यात्रा के दौरान बीच में पड़ने वाले पांच पड़ावों पर ही विश्राम की परंपरा है। इन पांच पड़ावों की परंपरागत विश्राम के साथ यात्रा पूर्ण होती है।

गौरतलब है कि काशी में होने वाली पंचकोशी यात्रा 25 कोस यानी 84 किलोमीटर में पूरी होने वाली पौराणिक यात्रा मानी जाती है. . इसमें हर अलग-अलग पड़ाव पर रात्रि विश्राम करने के साथ लोग भजन कीर्तन करते हुए अपनी यात्रा को पूर्ण करते हैं।पंचकोशी यात्रा का आरंभ मणिकर्णिका कुंड से होता है। यह एक छोटा सा जलाशय है जो प्रसिद्ध मणिकर्णिका घाट के पास स्थित है. इस कुंड को शिव, शक्ति और विष्णु से जोड़ते हुए हिन्दू धर्म के तीनों संप्रदायों के लिए इसे महत्वपूर्ण बताया गया है। पंचकोशी यात्रा के दौरान दाहिनी तरफ़ तमाम छोटे-छोटे लाल रंग के मंदिर दिखते हैं जिनपर उनका नाम और क्रमांक भी अंकित होता है. पांचों पड़ावों पर पांच बड़े मंदिर हैं जो आस्था के केंद्र माने जाते है। मान्यता है कि पंचक्रोशी परिक्रमा से मन के पांचों विकार दूर होते हैं और मनुष्य सद्गुणों की ओर प्रवृत्त होता है। आस्थावान श्रीकाशी विश्वनाथ के प्राचीन मंदिर में स्थित ज्ञानवापी कूप के जल में स्नान करते, हाथ में कूप का पवित्र जल लेकर परिक्रमा का संकल्प लेते और फिर बाबा के दर्शन कर मणिकर्णिका घाट पहुंचते थे।

वहां स्थित चक्र पुष्करिणी कुंड के जल से भी संकल्प ले पंचक्रोशी यात्रा की शुरुआत करते थे। वही महाशिवरात्रि से पूर्व परंपरा के अनुसार गुरुवार की रात से पंचकोशी यात्रा शुरू हुई। मणिकर्णिका चक्र पुष्कर्णी कुंड से यह यात्रा प्रारंभ हुई और अपने पांच पड़ावों की ओर प्रस्थान हुआ। सभी भक्त हर हर महादेव का जय घोष करते चल रहे थे।वही लाखों भक्त कंदवा तालाब पर दर्शन करके आगे प्रस्थान किए। चितईपुर चौकी प्रभारी अजय कुमार यादव ने चितईपुर चौराहे पर गाड़ियों के जाम को कंट्रोल किया भक्तो ने बाबा के जयकारे से पूरा क्षेत्र गुंजाय मान कर दिया ।वही जगह जगह स्थानीय लोगों ने ठंडई,शरबत ,चाय फल,फलाहारी और पानी की व्यवस्था की जिसे भक्त भी बड़ी ही भक्ति भाव से ग्रहण करते और बाबा की जयकारे लगाते चल रहे थे।

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