राष्ट्र रत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त की जयंती पर हुई संगोष्ठी

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ और अखिल भारतीय राष्ट्रीय वैश्य महासभा के संयुक्त तत्वावधान में राष्ट्र रत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त के जयंती पर समिति कक्ष में एक दिवसीय संगोष्ठी का आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. आनन्द कुमार त्यागी ने कहा कि विद्यापीठ से पहले काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना हो चुकी थी, परन्तु सरकारी सहायता प्राप्त होने के कारण स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों को दाखिला नहीं मिलता था। इस वजह से राष्ट्र रत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त ने विद्यापीठ को स्थापित किया। यह भारत का पहला स्व-वित्तपोषित विश्वविद्यालय है, जो राष्ट्रीय धरोहर होने की दृष्टि से अन्य विश्वविद्यालयों से बहुत आगे है। 

उन्होंने गुप्त जी के योगदान के बारे में बताते हुए कहा कि शिव प्रसाद जी ने अपनी सम्पत्ति का आधा हिस्सा विश्वविद्यालय को दान कर दिया था। साथ ही 15 लाख रूपये की एफ.डी. भी कराई जिससे यहां कार्यरत शिक्षकों और कर्मचारियों को वेतन मिल सके। कहा कि विश्वविद्यालय के 45वें दीक्षांत समारोह में राष्ट्रपति के करकमलों द्वारा बाबू शिव प्रसाद जी के ऊपर लिखी गयी पुस्तक का विमोचन कराया गया, जिसमें यहां के छात्रों का बड़ा योगदान है। इस मौके पर उन्होंने शिव प्रसाद जी को भारत रत्न देने की मांग की। कहा कि बाबू शिव प्रसाद ने बनारस के स्वरूप को निखारा है। इसके बारे में लोगों को बताना होगा, तभी हम उनके कार्यों को भारत के आम जनमानस के सामने ला पाएंगे।मुख्य अतिथि अखिल भारतीय राष्ट्रीय वैश्य समाज के संयोजक योगेश कुमार गुप्ता ने कहा कि अर्थ शक्ति न भी हो और प्रबल इच्छा शक्ति हो तो रास्ता निकल ही जाता है। वही इच्छाशक्ति राष्ट्ररत्न बाबू शिव प्रसाद गुप्त जी के अंदर थी, जिसके फलस्वरूप आज हम विद्यापीठ के इस रूप को देख रहे हैं। उन्होंने विशेष मांग करते हुए कहा कि 28 जून को राष्ट्रीय सेवा दिवस के रूप में घोषित किया जाये। यही उनके लिए सच्ची श्रद्धांजलि होगी।कार्यक्रम का संचालन प्रो. के.के सिंह एवं धन्यवाद ज्ञापन डॉ. रविंद्र गौतम ने किया। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के वित्त अधिकारी संतोष कुमार शर्मा, प्रो. पीताम्बर दास, प्रो. एम.एम. वर्मा, जनसम्पर्क अधिकारी डॉ. नागेंद्र कुमार सिंह, डॉ. एस.एन सिंह सहित छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।

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