वाराणसी का लंका थाना अपनी कारगुजारियों के चलते फिर चर्चा में है। पहले युवक के सुसाइड, फिर सिपाहियों के नाम की पर्ची के बाद अब थानेदार पर आरोपियों को गैर कानूनी तरीके से छोड़ने का आरोप लगा है।
शिकायतकर्ता अधिवक्ता ने हवालात से दो आरोपियों की रिहाई पर लंका इंस्पेक्टर समेत पुलिस कमिश्नर और सरकार को कटघरे में खड़ा किया है।
सीजेएम ने प्रार्थना पत्र स्वीकार करते हुए यूपी सरकार, पुलिस आयुक्त वाराणसी और लंका एसएचओ को नोटिस जारी की है। मामले की सुनवाई और जवाब दाखिल के लिए 2 अगस्त की तारीख सुनिश्चित की है।
लंका पुलिस की कार्यशैली पर उठाए सवाल
वाराणसी मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने लंका पुलिस की कार्यशैली पर सवाल उठाए। आरोप लगाया कि पुलिस पर पास्को एवं भारतीय दंड संहिता के तहत गंभीर अपराध में बंद आरोपियों की गिरफ्तारी रिकार्ड/अभिलेख में ना दिखाकर थाने से ही गैरकानूनी रूप से छोड़ दिया गया। पीड़ित पक्ष की अनदेखी करते हुए आरोपियों को लाभ दिया गया।
अधिवक्ता सौरभ तिवारी ने पीड़िता के प्रार्थी के तरफ से कहा कि 2 जून 2024 को प्राथमिकी के तहत 3 आरोपियों को पुलिस ने हिरासत में लिया और थाने लेकर पहुंची। लंका पुलिस स्टेशन में रखकर 2 आरोपियों को बिना किसी उचित कानूनी प्रक्रिया के रिहा कर दिया। दावा किया कि पुलिस रिकॉर्ड में केवल एक आरोपी की गिरफ्तारी दिखाई गई।
उत्तर प्रदेश सरकार, पुलिस आयुक्त (वाराणसी), सहायक पुलिस आयुक्त भेलूपुर एवं लंका थाने के एसएचओ एवं अन्य को प्रतिवादी (विपक्षी) बनाया गया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने सुनवाई के बाद नोटिस जारी किया, मामले में अगली सुनवाई 2 अगस्त 2024 को होगी।