ई रिक्शा चालको द्वारा नई यातायात प्रणाली के तहत जोन वार ई रिक्शा संचालन के निर्णय का लगातार विरोध जारी है । इसी कड़ी मे ई रिक्शा चालक प्रधानमंत्री कार्यालय पहुँचे। जुलूस की शक्ल में काफी संख्या मे चालको के पहुँचने की सूचना पर पीएमओ कार्यालय के आस पास काफी संख्या में फोर्स तैनात रही । ई रिक्शा एसोसिएशन के अध्यक्ष के नेतृत्व मे काफी संख्या मे चालक वहाँ पहुँचे । इस दौरान ई रिक्शा चालक हाथ में तिरंगा लिए और जमकर नारेबाजी कर रहे थे । वही कैंट विधायक सौरभ श्रीवास्तव ने उनकी समस्याएं सुनी और उनका ज्ञापन लिया ।
ई रिक्शा चालको ने कहा कि वाराणसी के यातायात विभाग द्वारा प्रस्तावित रोजगार विरोधी मार्ग रोकने की नीति का हम बहिष्कार कर रहे हैं और अपनी मांगो से संबंधित 9 सूत्रीय मांग पत्र सौप रहे है । उन्होंने कहा कि वाराणसी में ई-रिक्शा चालकों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति अत्यन्त दयनीय हो गयी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 2016 में वाराणसी में ई-रिक्शा की शुरुआत की थी, जिसे रोजगार के एक साधन के रूप में प्रोत्साहित किया गया था। कम पढ़े-लिखे लोगों के लिए ई-रिक्शा एक आत्मनिर्भरता और स्वावलम्बन का सशक्त माध्यम है। आज वाराणसी में 25.000 से अधिक ई-रिक्शा चालक अपने परिवार का पालन-पोषण करने के लिए इस पेशे पर निर्भर है।
हालांकि, वर्तमान में इन ई-रिक्शा चालकों को अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। इन्हें प्रतिदिन की ई०एस०आई० बैटरी चार्जिंग वाहन रख-रखाव, और अन्य खचों के लिए लगभग 500 रुपए की लागत होती है. इसके बाद बची इनकी दैनिक आय बहुत ही कम है। यदि नये प्रस्तावित ई-रिक्शा मार्ग लागू होते हैं, तो इनकी आमदनी में और भी कमी आ सकती है, जिससे इनकी स्थिति और गम्भीर हो जायेगी। हाल ही में हरहुआ, वाराणसी में एक चालक श्रीनाथ प्रजापति ने कमाई की कमी के कारण आत्महत्या कर ली, जो कि अत्यन्त दुखद और चिंताजनक है। हमने पिछले पाँच महीनों में पुलिस आयुक्त, जिलाधिकारी और नगर आयुक्त से कई बार मुलाकातें की हैं। हालांकि, हमें आश्वासन तो मिला है, लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गयी है। इसके विपरीत, मार्ग निर्धारण जैसे कदम उठाए जा रहे हैं, जो ई-रिक्शा चालकों की स्थिति की और भी दयनीय कर सकते है। उन्होंने कहा अपनी जनता की खुशहाली और समृद्धि को ध्यान में रखते हुए टोटो चालकों के हित में हमारी 9 सूत्री मांगों को यथाशीघ्र पुरा किया जाय। उन्होंने प्रस्तावित ई-रिक्शा मार्गो को रद्द किया जाय। किसी भी निर्णय से पहले ई-रिक्शा चालकों से चर्चा कर उनकी सहमति ली जाय।
शहर के केन्द्र में प्रस्तावित 100 बसों का संचालन न किया जाए। इन्हें शहर के बाहरी क्षेत्रों के लिए उपयोग में लाया जाए। ई-रिक्शा चालकों को यातायात नियमों और स्थितियों के बारे में सिखाने के लिए अनिवार्य प्रशिक्षण केन्द्र स्थापित किये जाय। ई-रिक्शा ख़रीदारों के लिए मुद्रा लोन के नियमों में बदलाव किये जाय ताकि वे आसानी से सरकारी बैंकों से लोन प्राप्त कर सकें । ई-रिक्शा बैटरी पर 50 प्रतिशत तक सब्सिडी दी जाय। इसके साथ ही उन्होंने अन्य मांगे की ।साथ ही कहा कि यदि हमारी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया, तो अनिश्चितकालीन अनशन करने के लिए बाध्य होंगे। हमारा यह कदम ई-रिक्शा चालकों की दयनीय स्थिति में सुधार के लिए उठाया गया एक मजबूर कदम होगा।