नागरिक समाज वाराणसी द्वारा भगत सिंह की 117वीं जयंती पर "लोकतंत्र की चुनौतियां एवं नए भारत का निर्माण" विषय पर पराड़कर भवन में सेमिनार हुआ। सेमिनार की शुरुआत में जनगीतकार युद्धेश ने गानों के माध्यम से जोशीला माहौल बनाया। इसके बाद प्रज्ञा ने पितृसत्ता पर एक बेहतरीन नाटक प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन विनय द्वारा किया गया। कार्यक्रम की पहली वक्ता के तौर पर पीयूसीएल की उत्तर प्रदेश अध्यक्ष सीमा आज़ाद ने अपनी बात शुरू करते हुए कहा कि आज लोकतंत्र के सारे स्तंभों को ताक पर रख दिया गया है। न्यायपालिका, जो एक स्तंभ अभी तक बचा हुआ था, अब उसको भी ताक पर रख दिया गया है। इस समय महिलाओं, आदिवासियों, किसानों आदि सभी समूहों को एक दूसरे के साथ एकजुटता ज़ाहिर करने की जरूरत है। जब तक यह नहीं होता है, हम लोकतंत्र को सही मायने में स्थापित नहीं कर पाएंगे।
अगली वक्ता लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति रूप रेखा वर्मा ने अपनी बात रखी। विनय ने आखिर में सरकार के विकास के मॉडल के बारे में बताया कि किस तरह से बनारस में बस्तियों, गांवों को उजाड़ा जा रहा है। बुल्डोजर नीति भी इसी का हिस्सा है। यह विकास केवल सरकार और पूंजीपतियों का है, जनता का नहीं। इसके बाद सवाल – जवाब का सत्र चला जिसमें लोगों ने दोनों वक्ताओं से सवाल पूछे और उन्होंने जवाब दिए। आखिर में मुहम्मद आरिफ ने अध्यक्षता करते हुए अपना व्यक्तव्य रखा।