उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र, प्रयागराज द्वारा आयोजित 4 दिवसीय काशी नाट्य उत्सव के तीसरे दिन श्री नागरी नाटक मंडली प्रेक्षागृह में गुरुदेव रवीन्द्रनाथ ठाकुर की प्रसिद्ध नृत्य नाटिका ‘चंडालिका’ का मंचन हुआ। यथार्थ क्रिएशन सोसाइटी के कलाकारों ने डॉ॰ शुभ्रा वर्मा के निर्देशन में प्रस्तुति दी। नाटक की कहानी भगवान बुद्ध के प्रमुख शिष्य भिक्षु आनंद के जीवन प्रसंग पर आधारित एक सत्यकथा है। गाँव के छोर पर एक चांडाल जाति की कन्या, प्रकृति अपनी माँ के साथ रहती है। अछूत जाति की होने के कारण कोई उससे बात तक नहीं करता है। भिक्षु आनंद एक बार उस गाँव से गुजर रहे थे। उन्हें प्यास लगी थी। उन्होने कुएँ के पास खड़ी प्रकृति से उन्हें पानी पिलाने के लिए कहा। प्रकृति को बड़ा आश्चर्य हुआ। उसने कहा कि वह अछूत जाति की है। भिक्षु ने कहा कि सभी मनुष्य समान हैं और अपने आप को हीन समझना पाप है, और प्रकृति के हाथों से जल ग्रहण किया। भिक्षु की बातें सुनकर उसे स्वयं को एक मनुष्य होने का अनुभव होता है और उसे भिक्षु से प्रेम हो जाता है। वह भिक्षु को पाने के उपाय करती हैं लेकिन अंत में उसे समझ में आता है कि बौद्ध भिक्षु का प्रेम तो सम्पूर्ण मानव जाति के लिए है।
इस नाटक के द्वारा समाज में व्याप्त जाति प्रथा जैसी कुरीतियों को समाप्त करने का और मानवमात्र के प्रति समान प्रेमभाव रखने का संदेश दिया है। जिससे मनुष्य का जीवन आनंदमय बन सके। प्रकृति की भूमिका में डॉ. शुभ्रा वर्मा, माँ की भूमिका में रीता प्रकाश, अन्य भूमिकाओं में अंकुर बागची, अभिषेक बसाक, विशाल सिंह, नैन्सी आदि का अभिनय प्रभावपूर्ण रहा। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. शेफाली वर्मा ठकराल, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, प्रो. आनंद कुमार त्यागी, कुलपति, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ विशिष्ट अतिथि डाइरेक्टर, डीएवी डिग्री कॉलेज, डॉ॰ निरंजन सहाय, विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, डॉ॰ सुनील विश्वकर्मा, विभागाध्यक्ष, ललितकला विभाग, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ आदि रहे।