संतान की दीर्घायु की कामना के साथ महिलाओं ने किया जीवित्पुत्रिका व्रत, परंपरागत पूजन कर सुनी गई कथा

जितिया व्रत बुधवार को धूम धाम से मनाया गया आज माताओ ने अपनी संतान के सुखी और सुरक्षित जीवन के लिए जितिया व्रत रखा ।  जितिया व्रत को जीवित्पुत्रिका व्रत के नाम से भी जानते हैं. यह व्रत पुत्र से जुड़ा हुआ है क्योंकि इस व्रत की कथा में गंधर्व राजा जीमूतवाहन नाग वंश की एक वृद्धि महिला के बेटे के जीवन की रक्षा पक्षीराज गरुड़ करते हैं. इस वजह से जितिया व्रत में जीमूतवाहन की पूजा करने का विधान है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जितिया व्रत रखने से संतान सुरक्षित रहती है और उसका जीवन सुख एवं समृद्धि से भरा रहता है. जितिया व्रत अश्विन कृष्ण अष्टमी तिथि को रखा जाता है।

वही सुबह से ही लक्ष्मी कुंड स्थित माँ महा लक्ष्मी के दरबार मे महिलाओ के पहुँचने का क्रम प्रारंभ हो गया । महिलाओ ने माँ की सुसज्जित झाकी का दर्शन पूजन किया और कथा पूजन के साथ ही 16 दिवसीय विशेष अनुष्ठान का समापन हुआ । मंदिर में सुबह से दर्शन-पूजन हेतु पुरुष एवम् महिलाओं ने कतारबद्ध होकर माता लक्ष्मी जी का दर्शन-पूजन कियामहिलाओं ने निराजल ब्रत रखकर जीवित पुत्रिका माता का दर्शन पूजन कर पुत्र की मंगल कामना की। महिलाओ ने 16प्रकार के फल जिउतिया गंडा आठ कहानी को सुना और पूजन पाठ किया मंदिर परिसर में भीड को देखते हुए सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किये गए थे ।  

जीवित्पुत्रिका व्रत बेहद महत्वपूर्ण और कठिन व्रतों में से एक माना जाता है। जीवित्पुत्रिका व्रत में माताएं अपनी संतानों की सलामती व अच्छे स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए पूरे दिन और पूरी रात निर्जला उपवास रखती हैं।  इस दिन माताएं भगवान जीमूतवाहन की विधिवत पूजा-अर्चना करती हैं।हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत रखा जाता है।



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