आपको बता दे कि लगभग पिछले एक महीने से विद्युत विभाग में जे.ई, एस. डी.ओ के मिलीभगत से रोहनिया क्षेत्र में पैसे लेकर कनेक्शन देने की बात सामने आ रही है। जिसमें करोड़ो रूपये के भ्रष्टाचार के आशंका है। उसमें विद्युत विभाग के कोई भी बड़े अधिकारी जांच करते नही दिख रहे, सारे मामले को दबाने में लगे है। ऐसे में यह कहना गलत नही होगा कि अधिकारी ऊपर से लेकर नीचे तक भ्रष्टाचार से लिप्त हैं।
मेरे पास कोई कागज नहीं मैं कुछ नहीं कर सकता
आपको बताते चले कि विद्युत वितरण खंड द्वितीय, बरईपुर के रोहनियाँ उपकेन्द्र के अंतर्गत कादीपुर नकाई गांव में विद्युत विभाग की गंभीर अनियमितताओं का मामला सामने आने पर आरोप लगाया गया है कि अवर अभियंता (जे.ई.) और टी0जी0-2 ने 400-700 मीटर से ऊपर की दूरी पर विद्युत कनेक्शन प्रदान किए हैं। वही जब इस संदर्भ में लिखित शिकायत की गई तो जेई रोहित ने शिकायत पत्र को फाड़ दिया और कहा कि एसडीओ के आदेश के बाद ही विद्युत आपूर्ति की जाती है। अब यह सही हो या गलत मेरा इससे कोई सरोकार नहीं है। वही इस संदर्भ में मुख्य अभियंता जोन प्रथम से शिकायत की गई जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया कि इस और कार्यवाही की जाएगी और उन्होंने एससी को जांच हेतु आदेशित किया। उसके बाद विभाग की ओर से जांच हेतु पत्र जारी किया है। जिसमे शिकायती पत्र में वर्णित शिकायत को संज्ञान में लेते हुए प्रकरण में विभागीय नियमानुसार जाँच एवं परीक्षण करके निस्तारण आख्या प्रेषित करने की बात लिखी गयी है। वही जब यह मामला एक्सीएन मनीष झा के पास पहुंचा तो उन्होंने अपने तक कोई भी जानकारी न होने के कारण इस मामले में कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। कई दिन बीत जाने के बावजूद कोई कार्यवाही नहीं हुई है।
40 मीटर से ऊपर की दूरी पर इस तरीके से विद्युत कनेक्शन दिया जाना विभागीय नियमानुसार गलत है और इस ओर जांच की मांग हो रही है। जिससे यह मामला उजागर हो सके कि आखिर इस तरीके से विद्युत कनेक्शन दिए जाने में कौन-कौन से अधिकारी सम्मिलित है।
क्या करोड़ के भ्रष्टाचार की सजा सिर्फ कुछ दिन की सस्पेंशनवहीं इस मामले में जब अधीक्षण अभियंता राम अवतार से पुछा गया तो उन्होंने कहा कि शिकायत आई है पूर्व के जेई को निलंबित कर दिया जाएगा। प्रशासन अपना पल्ला झाड़ते हुए जेई को निलंबित करने की बात कह रहें ।
भ्रष्टाचार की सजा सिर्फ कुछ दिन कुछ के सस्पेंशन, उसके बाद वापस से विभाग में जॉइनिंग और फिर से भ्रष्टाचार, कुछ ऐसे ही सोच रखते हैं विभाग के उच्च अधिकारी
जहां करोड़ों के भ्रष्टाचार का आरोप लगे हो वहां भला निलंबन से उन्हें क्या ही फर्क पड़ेगा और आगे भी फिर इसी प्रकार नए अधिकारी आएंगे और भ्रष्टाचार करेंगे। यह प्रकरण यह भी दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश के हर विभाग का कार्य करने का तरीका अलग अलग है। एक तरफ जहां एक विभाग भू अतिक्रमण रोकने पर सख्त रूख अपना रहा, वहीं बिजली विभाग इतने बड़े घोटाले के बावजूद मामले को गंभीरता से नहीं ले रहा।