लोक आस्था का महान पर्व छठ शुरू हो गया है। चार दिनों के महापर्व का आज पहला दिन है। इसे नहाय-खाय या लौका भात कहते हैं। कदद्दू-भात या कदुआ भात इसलिए कहते हैं, क्योंकि इस दिन शुद्ध जल से स्नान कर लोग कद्दू (लौकी) के साथ चना दाल डालकर सब्जी बनाते हुए खाते हैं और साथ में अरवा चावल का भात खाते हैं। अभिप्राय तो इस नाम का भी शुद्धता-सात्विकता से है, लेकिन 'नहाय-खाय' कहने के पीछे असल में सात्विकता की कई कसौटियों का जिक्र आ जाता है।
इस दिन सिर्फ नहाकर खाना ही प्रक्रिया नहीं है। आज पूरी तरह से तैयारी का असल दिन है। इस दिन सबसे पहले घर को नहा-धोकर साफ किया जाता है। कहीं गंदगी नहीं रहे, खासकर जिस तरफ व्रती को रहना या उनका आना-जाना हो, उस तरफ की सफाई विशेष तौर पर होती है। इसके बाद व्रती और उनके साथ कुछ सहयोगी नहा-धोकर आगे के काम में लग जाते हैं। आगे का काम एक तरफ कद्दू-भात बनाना है तो दूसरी तरफ मुख्य पूजा के प्रसाद बनाने वाले गेहूं-चावल को धोकर सुखाना होता है।
छठ पूजा की शुरुआत आज जिस नहाय-खाय से हो रही है। आज व्रती शुद्धता और पवित्रता का पालन करते हुए लौकी की सब्जी, चने की दाल और भात का सेवन कर निर्जला उपवास की शुरुआत करेंगी। इसके बाद कल यानी 6 नवंबर को खरना पूजन, 7 नवंबर को शाम में सूर्य अर्घ्य और 8 नवंबर को प्रातःकालीन अर्घ्य के बाद पारण होगा। इसके साथ इस महापर्व का समापन होगा।
छठ पर्व की तैयारी में हर व्रती महिला और पारिवारिक जन जुटे हुए हैं छठ महापर्व को देखते हुए बाजार भी सज गए हैं और गन्ना तरह तरह के फल सूप दौरी कि लोग जमकर खरीदारी कर रहे हैं।