दिनांक 14 नवम्बर 2024, को बैकुंठ चतुर्दशी के पवित्र अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में विशेष पूजा एवं आरती का आयोजन किया गया। आज की यह विशेष पूजा श्री हरि भगवान विष्णु के समस्त प्रधान विग्रह पर की गयी।
बैकुंठ चतुर्दशी कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को मनाई जाती है, जिसे विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा एवं आराधना का दिन माना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन भगवान विष्णु जी की योग निद्रा समाप्त होती है और वे बैकुंठ लोक से जागकर सृष्टि की गतिविधियों में सक्रिय हो जाते हैं।
इस दिन की पूजा और आराधना से व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि, और सुख की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से भगवान विष्णु की कृपा से भक्त को बैकुंठ लोक की प्राप्ति हेतु श्री हरि के भक्त आराधना करते हैं। आज के इस पावन अवसर पर श्री काशी विश्वनाथ धाम में श्री हरि विष्णु के समस्त प्रधान विग्रहों पर विशिष्ट पूजन कार्यक्रम का आयोजन हुआ। धाम स्थित शंकराचार्य चौक में वेद पारायण और सांस्कृतिक कार्यक्रम का भी आयोजन संपन्न हुआ ।
इस अवसर पर काशी में भक्तिमय वातावरण का निर्माण करते हुए, आस्था और संगीत का अद्भुत संगम देखने को मिला। कार्यक्रम का शुभारंभ शहर दक्षिणी के सम्माननीय विधायक श्री नीलकंठ तिवारी, मुख्य कार्यपालक अधिकारी श्री विश्व भूषण, डिप्टी कलेक्टर श्री शम्भू शरण और श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के प्रतिष्ठित सदस्य पं० के० वेंकट रमण आदि गणमान्य व्यक्तियों द्वारा दीप प्रज्वलन से किया गया।
इस सांस्कृतिक कार्यक्रम में प्रमुख आकर्षण रही भजन प्रस्तुतियाँ, जिन्होंने काशी धाम के पवित्र परिवेश में भक्ति और संगीत का अद्भुत संगम प्रस्तुत किया। कार्यक्रम में प्रमुख कलाकार श्री नीरज सिंह (गायक) थे, जिन्होंने अपनी मधुर आवाज से हृदय मोह लिया। उनके साथ सह कलाकार के रूप में श्री रिंकू राणा (पैड संचालक), श्री सिकंदर वीरेंद्र (ढोलक वादन), श्री सुमन (तबला वादन), श्री राजन (कीबोर्ड वादन) और श्री शंकर (बैंजो वादन) ने अपनी सुमधुर ध्वनियों से कार्यक्रम को और भी संगीतमय बना दिया। इन सभी कलाकारों ने अपनी प्रतिभा से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
यह कार्यक्रम काशी विश्वनाथ धाम की सांस्कृतिक धरोहर को जीवित रखने के साथ-साथ स्थानीय कला और संस्कृति को भी बढ़ावा देने में सहायक सिद्ध हुआ। इस कार्यक्रम के माध्यम से यह संदेश भी गया कि भारतीय संस्कृति में संगीत और भक्ति का कितना गहरा संबंध है।कार्यक्रम का समापन श्री विश्वेश्वर महादेव का आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ हुआ। इस अवसर पर काशी विश्वनाथ धाम के भक्तों और स्थानीय लोगों ने इस सांस्कृतिक आयोजन को अत्यधिक सराहा। उपस्थित श्रद्धालु भाव विभोर हो कर संगीत एवं नृत्य में सहभागी हो कर उत्सव में सम्मिलित हुए।
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