महाशिवरात्रि के एक दिन पूर्व बड़ी संख्या में शिव भक्तों ने की पंचकोशी यात्रा

महाशिवरात्रि और काशी पलट प्रवाह को देखते हुए वाराणसी में काफी संख्या में श्रद्धालु काशी पहुंच रहे हैं वहीं पर काशी की बात की जाए तो धर्म और आध्यात्मिक नगरी में एक पौराणिक मान्यता है पंचकोश यात्रा की।  कहां जाता है कि मणिकर्णिका घाट से संकल्प लेकर 60 कोष की पंचकोश यात्रा की जाती है पंडित जयेंद्र नाथ दुबे महाराज ने बताया कि शिवरात्रि के 1 दिन पहले पंचकोश यात्रा की शुरुआत होती है यहां से यात्राएं प्रारंभ होकर और यहीं पर आकर समाप्त होती हैं ।

कहां गया है यह काशी का अनाड़ी तीर्थ है जो मणिकर्णिका घाट के नाम से जाना जाता है काशी की पंचकोशी यात्रा अतःगृह यात्रा यहीं से शुरू होती है और यहीं पर समाप्त होती है यह अनादि काल से चला चला रहा है । महादेव की कृपा पाने के लिए पंचकोशी यात्रा की जाती है जो भी काशीवासी है वह एक बार जरूर पंचकोशी यात्रा करते हैं यह पंचकोशी यात्रा श्रद्धालु रात भर चलते हैं और  सुबह को पंचकोशी यात्रा पूरा करते हैं कहां जाता है कि भगवान विष्णु ने यहीं पर 60 साल तक तपस्या किया था उन्हीं के द्वारा यहां पर स्थापना हुई है यहां पर जो कुंड है कहां जाता है कि इसमें सबसे पहले स्नान भगवान शंकर और माता पार्वती ने किया था उसमें शंकर भगवान का कुंडल और पार्वती जी का कान की मणि इसमें गिरी थी इसीलिए यह मणिकर्णिका कुंड के नाम से जाना जाने लगा जो मणिकार्णिका कुंड है उसमें हजारों की तादाद में श्रद्धालुओ ने स्नान किया और पुण्य के भागी बने।

Post a Comment

Previous Post Next Post