फाल्गुन मास की कृष्णपक्ष की चतुर्दशी महाशिवरात्रि पर्व पर शिव-पार्वती विवाह के पूर्व काशी नगरी अपने आराध्य के भक्ति में डूब वैवाहिक परम्पराओं को निभाने में जुट गई है। सोमवार को श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत स्मृतिशेष डॉ कुलपति तिवारी के टेढ़ीनीम स्थित आवास पर महादेव के विवाह का लोकाचार शुरू हो गया। पूर्व महंत के पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी की देखरेख में बाबा विश्वनाथ की चल रजत प्रतिमा का ब्रह्म मुहूर्त में 11 वैदिक ब्राह्मणों ने विशेष पूजन किया।
दोपहर में भोग आरती के बाद बाबा की चल प्रतिमा का खास राजसी श्रृंगार किया गया। बाबा के रजत विग्रह के समक्ष हल्दी तेल का लोकाचार की परम्परा निभाई गई । इसमें काशीवासियों के साथ ही कुंभ से लौटे साधु सन्यासी भी शामिल हुए। हल्दी की रस्म के लिए गवनहिरयों की टोली महंत आवास पर जुटी रही। आवास पर मंगल गीतों का गान के बीच बाबा को हल्दी लगाई गई। ढोल की थापों, मंजीरों की खनक के साथ हल्दी रस्म की मंगल गीतों का क्रम आरंभ हुआ। पूर्व महंत के गोलोकवासी होने के पश्चात पहली बार उनकी पत्नी मोहिनी देवी के सानिध्य में उनके पुत्र पं. वाचस्पति तिवारी ने परंपरा निर्वहन का दायित्व संभाला है।हल्दी रस्म पर गवनिहारों की टोली द्वारा गाए गीतों में शिव-पार्वती के मंगल दांपत्य की कामना के गीत मुखर हुए।