रामनवमी पर तुलसी घाट पर विधिवत पूजन के साथ निकाली गई राम कथा मंदाकिनी यात्रा

गोस्वामी तुलसीदास जी ने जहां श्रीरामचरितमानस की रचना की थी, जहां से प्रारंभ हुई राम कथा मंदाकिनी यात्रा अब एक दिव्य परंपरा बन चुकी है।सन् 1988 से लगातार यह भव्य तुलसी घाट से प्रहलाद घाट तक जारी है, जिसमें भगवान श्रीराम के जीवन प्रसंगों का मंचन, गंगा आरती और भव्य हुंकारियां शामिल हैं। यह कार्यक्रम समरसता, गंगास्वच्छता और भारतीय संस्कृति के विचारों का संदेश देता है।वही शैलेश वर्मा कार्यकर्ता श्री राम कथा मंदाकिनी सेवा ट्रस्ट से बात करने पर उन्होंने बताया कि इस शोभा यात्रा की शुरुआत 1988 में हुई है यह शोभा यात्रा तुलसी घाट से बजड़े पर निकलता है जिस पर प्रभु श्री राम की झांकी निकलती है| 

जिसमें सबसे आगे प्रभु की झांकी होती है उसके बाद बैड बाजा होता है और उसके बाद पटाखे एवं लाइट वाले होते हैं यह शोभायात्रा तुलसी घाट से निकलकर महिषासुर घाट तक जाती है वहां पहुंचने के बाद जितने भी स्वरूप होते हैं उनका मंचन होता है और वहां पर सामाजिक लोग जिन्होंने समाज के प्रति कुछ ना कुछ किया है उनका वहा सम्मान होता है और यहां तुलसी घाट पर सर्वप्रथम हम लोग केवट समाज का सम्मान करते हैं और  इसके पश्चात संकट मोचन के महंत विश्वंभर नाथ मिश्रा के द्वारा मां गंगा का आरती करने के बाद शोभायात्रा निकालते हैं सर्वप्रथम इसकी शुरुआत 11बाजरे पर हुई थी परंतु अब लोगों की भीड़ बढ़ती जा रही है लोगों का जो लगाव है आस्था है उसको देखते हुए ऐसा लगता है कि आने वाले समय में हमें सैकड़ो बजड़े की व्यवस्था करनी होगी इस बार हम लोगों ने लगभग 21 बजडो पर व्यवस्था की है 

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