संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय में बुद्ध जयंती पर हुई संगोष्ठी

तथागत बुद्ध ने अपने ज्ञान और शिक्षाओं से समाज में महत्वपूर्ण परिवर्तन किए। उनके प्रमुख अवदानों में बौद्ध धर्म की स्थापना, आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करना, नैतिकता और मूल्यों पर जोर देना और सामाजिक सुधार के लिए काम करना शामिल है। उनकी शिक्षाओं का प्रभाव विश्वभर में देखा गया और आज भी प्रासंगिक हैं।उक्त  विचार सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, के श्रमण विद्या संकाय के अन्तर्गत "बुद्ध जयंती" पर्व के पूर्व संध्या  एवं राष्ट्र में शांति के  लिये आयोजित "भारतीय ज्ञान परम्परा में तथागत बुद्ध का अवदान" विषय पर केन्द्रीय तिब्बती अध्ययन वि.वि., सारनाथ, के कुलपति प्रो. वाड्छुक दोर्जे नेगी ने बतौर मुख्य अतिथि व्यक्त किया।

कुलपति प्रो नेगी ने कहा कि बौद्ध दर्शन में, चित्त और अचित्त दो महत्वपूर्ण अवधारणाएं हैं जो मन और चेतना की प्रकृति को समझने में मदद करती हैं।बतौर मुख्य वक्ता प्रो. हरिशंकर शुक्ल, विभागाध्यक्ष, पालि एवं बौद्ध अध्ययन विभाग, का. हि.वि.वि., वाराणसी ने कहा कि तथागत बुद्ध के प्रमुख अवदान और उनकी शिक्षाओं का प्रभाव तथागत बुद्ध ने बौद्ध धर्म की स्थापना की, जो अहिंसा, करुणा और आत्म-ज्ञान पर आधारित है। न्याय शास्त्र के विद्वान प्रोफेसर रामपूजन पाण्डेय ने धन्यवाद ज्ञापित किया। सम्पूर्ण कार्यक्रम का संचालन डॉ मधुसूदन मिश्र ने किया।मंच पर आसीन अतिथियों के द्वारा दीप प्रज्वलन तथा माँ सरस्वती एवं महात्मा बुद्ध के चित्र पर माल्यार्पण किया गया।स्वागत और अभिनंदनमंच पर आसीन अतिथियों का माल्यार्पण,अंग वस्त्र ओढ़ाकर एवं स्मृति चिन्ह देकर स्वागत और अभिनंदन किया।

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