वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस दिन दर्श अमावस्या का भी संयोग बन रहा है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पतियों की लंबी उम्र और सुखद दांपत्य जीवन के लिए वट सावित्री व्रत करती हैं। वट सावित्री का व्रत सौभाग्य की प्राप्ति के लिए एक महत्वपूर्ण व्रत माना जाता है।
बरगद के पेड़ को वट वृक्ष भी कहा जाता है, जो इस व्रत में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पुरानी कथाओं के अनुसार, सावित्री ने वट वृक्ष के नीचे बैठकर कठोर तपस्या की थी। इसी कारण इसे वट सावित्री व्रत कहा जाता है। इस दिन महिलाएं वट वृक्ष के नीचे बैठकर वट सावित्री व्रत कथा सुनती हैं। बिना इस कथा को सुने व्रत पूरा नहीं माना जाता।
इस व्रत के माध्यम से महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखी जीवन की कामना करती हैं। सोमवार को वट सावित्री पर्व के अवसर पर 16 श्रृंगार में सजी महिलाओं ने वट वृक्ष के समीप पहुंचकर विधि विधान से पूजन किया। वट सावित्री व्रत की कथा सुनी और अपने पति के दीर्घायु की कामना की।