चैत्र नवरात्रि का सातवां दिन
मां दुर्गा का सप्तम् स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है, जो सदैव शुभ फल देने के कारण शुभंकरी कहलाती हैं। नवरात्रि के सातवां दिन भी महत्वपूर्ण होता है और भक्त इस दिन मां कालरात्रि की पूला अर्चना करते हैं। माता दुर्गा की सप्तम शक्ति कालरात्रि के नाम से जानी जाती हैं। इस दिन साधक के लिये ब्रह्मांड की समस्त अखण्ड सिद्धियों के द्वार खुलने लगते हैं। मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती है इस कारण इनका नाम कालरात्रि पड़ गया। देवी कालरात्रि तीन नेत्रों वाली माता है। यह काले रंग और अपने विशाल बालों को फैलाए हुए चार भुजाओं वाली माता है। मां कालरात्रि का विकराल रूप अद्रभुत हैं देवी कालरात्रि अपने हाथ में चक्र, गदा, तलवार,धनुष,पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किए हुए है तथा माथे पर चन्द्रमा का मुकुट धारण किए हुए हैं ।
मां कालरात्रि का दर्शन करने के लिए मंगला आरती के बाद श्रद्धालुओं के लिए दरबार खोल दिया गया हजारों की तादाद में श्रद्धालुओं ने मां का दर्शन पूजन किया मां का मंदिर विश्वनाथ मंदिर के कालिका गली में स्थित है। इस दौरान सुरक्षा की दृष्टि से व्यापक प्रबंध रहे सुबह से रात तक भक्तों के दर्शन पूजन का ताता लगा रहा।